स्वववद्यि्स्् वयवर्णकोत्सवं विण्न्त: लमत्रं प्रतत लिखिते पत्रे म˜जूर्य्य: उचितपदयतन चित्वय ररक्त स्थयनयतन पूर्त | sanskrit
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