सब तरह से आज जितने देश हैं फूले-फले,
बुद्धि, विद्या, धन-विभव के हैं जहाँ डेरे डले।
वे बनाने से उन्हीं के बन गए इतने भले,
वे सभी हैं हाथ से ऐसे सपूतों के पले॥
लोग जब ऐसे समय पाकर जनम लेंगे कभी।
देश की औ’ जाति की होगी भलाई भी तभी॥
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यह पंक्तियाँ कर्मवीर कविता अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा लिखी गई है|
कविता में कवि ने कर्मवीर शब्द को परिश्रमी , साहसी और वीरतापूर्ण कार्य करने वाले व्यक्तियों का गुणगान किया है|
देश को ऐसे लोगों की जरूरत है जिन्होंने अपना जीवन कर्म के लिए बलिदान दे दिया है | उन लोगों देश के भविष्य को बनाने के लिए पूरी मेहनत की | देश को बुद्धि, विद्या, धन, वैभव का भंडार बनाये रखा |
जब ऐसे लोगों जन्म लेंगे तभी देश और मनुष्य की भलाई होगी | ऐसे ही महान लोगों से यह देश प्रगति तक जाएगा |
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