सब दिन होत न एक समाना' विषय पर लगभग 100-120 शब्दो मे एक लघुकथा लिखिए।
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हमारा जीवन प्रकति के नियमों से बंध कर चलता है| यदि आज बंसत ॠतु है तो कल पतझड़ ॠतु भी आएगी| इसी प्रकार शीत ॠत के बाद ग्रिष्म ॠत, बरसात के बाद शीत ॠत आदि ॠतुओं का क्रम चलता रहता है| इसी प्रकार रात के बाद दिन का क्रम लगातार चलता रहता है| इसी प्रकार मानव जीवन में व्यवहार के स्तर पर हर दिन एक जैसा व्यतीत नहीं होता है| आज का एक अखबार बेचने वाला कल को करोड़ों का मालिक बन जाता है| और आज का धन सेठ कल का एक भिखारी बन जाता है| समय सदा एक सा नहीं रहता है| कल तक हमारा देश अग्रेजो का गुलाम था पर आज आजाद है| पहले हमारे देश में अलग अलग रियासते थी उनके अलग अलग राजा थे परंतु वह पहले का समय था | जहाँ पहले खेत खलिहान होते थे आज वहाँ बड़ी बड़ी फैक्ट्री है| समय सदा एक सा नहीं रहता है| पहले मनुष्य आग हवा पानी को अपना सवामी समझता था परंतु वह अब खुद को ही सवामी समझ बैठा है| इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि समय का परिवर्तन मानव जीवन का एक नियम है|