Sabdh vichar what it is
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शब्द विचार की परिभाषा
शब्द विचार हिंदी व्याकरण का दूसरा खंड है जिसके अंतर्गत शब्द की परिभाषा, भेद-उपभेद, संधि, विच्छेद, रूपांतरण, निर्माण आदि से संबंधित नियमों पर विचार किया जाता है।
शब्द की परिभाषा
वर्णों या अक्षरों से बना ऐसा स्वतंत्र समूह जिसका कोई अर्थ हो, वह समूह शब्द कहलाता है। जैसे: लड़का, लड़की आदि।
शब्द विचार का वर्गीकरण
अर्थ के आधार पर
बनावट या रचना के आधार पर
प्रयोग के आधार पर
उत्पत्ति के आधार पर
अर्थ के आधार पर शब्द के भेद
अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं :
सार्थक शब्द
निरर्थक शब्द
1. सार्थक शब्द:
वे शब्द जिनसे कोई अर्थ निकलता हो, सार्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे: गुलाब, आदमी, विषय आदि।
2. निरर्थक शब्द :
वे शब्द जिनका कोई अर्थ ना निकल रहा हो या जो शब्द अर्थहीन हो, निरर्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे: देना-वेना, मुक्का-वुक्का आदि।
रचना (बनावट) के आधार पर शब्द के भेद
रचना के आधार पर शब्द के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं:
रूढ़ शब्द
यौगिक शब्द
योगरूढ़ शब्द
1. रूढ़ शब्द :
ऐसे शब्द जो किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं लेकिन अगर उनके टुकड़े कर दिए जाएँ तो निरर्थक हो जाते हैं। ऐसे शब्दों को रूढ़ शब्द कहते हैं। जैसे: जल, कल, जप आदि।
2. यौगिक शब्द
ऐसे शब्द जो किन्हीं दो सार्थक शब्दों के मेल से बनते हों वे शब्द यौगिक शब्द कहलाते हैं। इन शब्दों के खंड भी सार्थक होते हैं। जैसे: स्वदेश : स्व + देश, देवालय : देव + आलय, कुपुत्र : कु + पुत्र आदि।
3. योगरूढ़ शब्द
ऐसे शब्द जो किन्हीं डो शब्द के योग से बने हों एवं बनने पर किसी विशेष अर्थ का बोध कराते हैं, वे शब्द योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं। जैसे: दशानन : दस मुख वाला अर्थात रावण , पंकज : कीचड़ में उत्पन्न होने वाला अर्थात कमल आदि।
बहुव्रीहि समास ऐसे शब्दों के अंतर्गत आते हैं।