Hindi, asked by shikhar5095, 11 months ago

Sabha ki Rai mein vidhayika mein mahilaon ke liye Aarakshan vidhayika ko majboot Karega Vishay par paksh mai bahut bada debate 3 page ka ....kam se kam

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Answered by shishir303
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                                            (बहस)

विधायिका में महिलाओं के लिये आरक्षण विधायिका को मजबूत करेगा

पक्ष —

विधायिका में महिला आरक्षण विधायिका को मजबूत करेगा। महिला के 33% आरक्षण का विषय बहुत समय से लंबित पड़ा है। राजनीतिक पार्टियों की इच्छाशक्ति की कमी की वजह से इस विषय के क्रियान्वन में अभी तक कोई उल्लेखनीय प्रगति नही हुई। आज जीवन के हर क्षेत्र में महिलायें पुरुषों के कंधे से मिलाकर चल रहींं हैं। राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम रही है। संसद में महिलाओं की पर्याप्त संख्या सुनिश्चित करने के लिये ये आवश्यक हो जाता है कि ऐसा कानून लाया जाये जिससे हमारे विधायिका तंत्र में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के समान हो ताकि पुरुषों का वर्चस्व खत्म हो।  

विधायिका में महिलाओं की संख्या बढ़ने से महिलाओं से संबंधित मुद्दों को सुलझाने में मदद मिलेगी। जिसमें महिलाओं के प्रति बढ़ती असमानता, बलात्कार, दहेज तथा अन्य आपराधिक मामले हैं। जब महिलाओं की विधायिका में भागीदारी बढ़ेगी तो महिलाओं के उत्थान के लिये किये जाने वाली योजनाओं में वृद्धि होगी।  

जब महिलाओं के प्रति असमानता का भेद खत्म होगा तो हमारी विधायिका मजबूत ही होगी अतः विधायिका में महिला आरक्षण विधायिका को मजबूत ही करेगा।

विपक्ष —

विधायिका में महिलाओं का आरक्षण विधायिका को मजबूत करेगा, यह बात सुनने में अच्छी है लेकिन खाली विधायिका में आरक्षण हो जाने महिलाओं की स्थिति मजबूत हो जाएगी, यह बात पूरी तरह सत्य नहीं है। जरूरत है कि महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव लाया जाए।  

भले ही राजनीति में महिलाओं की भागीदारी कम है इसके लिए उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए विधायिका में महिलाओं का आरक्षण का प्रावधान किया गया है, लेकिन जीवन के अन्य क्षेत्र भी ऐसे हैं जिनमें महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है और इसका कारण महिलाओं के प्रति और असमानता का व्यवहार है।  

समाज में आज भी महिलाओं को दोयम दर्जे का समझा जाता है, इस सोच में बदलाव की जरूरत है। जब हमारी सोच आधुनिक और प्रगतिशील होगी तथा पुरुष और महिलाएं समान स्तर पर आंके जायेंगे। जीवन के हर क्षेत्र में महिलाएं समान रूप से भागीदारी होंगी, तब विधायिका में महिलाओं के आरक्षण की जरूरत ही नही रह जायेगी।

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