Hindi, asked by rampyariyadav1122, 8 months ago

सन् 1857 ई. के विद्रोही नेता धुंधूपंत नाना साहब कानपुर में असफल होने पर जब
भागने लगे, तो वे जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ न ले जा सके। देवी मैना
बिठूर में पिता के महल में रहती थी; पर विद्रोह दमन करने के बाद अंगरेज़ों ने
बड़ी ही क्रूरता से उस निरीह और निरपराध देवी को अग्नि में भस्म कर दिया।
उसका रोमांचकारी वर्णन पाषाण हृदय को भी एक बार द्रवीभूत कर देता है।
गाने के बाद अंगरेजों का सैनिक दल बिठूर की की व्याख्या ​

Answers

Answered by bushrafatima73
2

Answer:

..........................

Similar questions