सभी प्रकार के रस के परिभाषा और उदाहरण सहित लिखिए!
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रस की परिभाषा रस : रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। ... श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है।
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- सभी प्रकार के रस के परिभाषा और उदाहरण सहित लिखिए!
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- भरतमुनि द्वारा रस की परिभाषा-
- उन्होंने अपने 'नाट्यशास्त्र' में रास रस के आठ प्रकारों का वर्णन किया है। ... भाव रस नहीं, उसका आधार है किंतु भरत ने स्थायी भाव को ही रस माना है। भरतमुनि ने लिखा है- "विभावानुभावव्यभिचारी- संयोगद्रसनिष्पत्ति " अर्थात विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।
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