Sabun ki safai ki prakriya ko missile avdharna ke ke Aadhar per samjhe
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साबुन के अणु ऐसे होते हैं जिनके दोनों सिरों के विभिन्न गुणधर्म होते हैं| जब साबुन जल की सतह पर होता है तब इसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं कि इसका आयनिक सिरा जल के अंदर होता है जबकि दूसरा सिरा हाइड्रोकार्बन पूँछ जल के बाहर होता है| जल के अंदर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है| ऐसा अणुओं का बड़ा गुच्छा बनने के कारण होता है जिसमें जलविरागी पूँछ गुच्छे के आंतरिक हिस्से में होती है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है| इस संरचना को मिसेल कहते हैं| मिसेल के रूप में साबुन स्वच्छ करने में सक्षम होता है क्योंकि तैलीय मैल मिसेल के केंद्र में एकत्र हो जाते हैं| इस प्रकार साबुन का मिसेल मैल को पानी में घोलने में मदद करता है तथा कपड़े साफ़ हो जाते हैं
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