Hindi, asked by rajivkumarcpr9, 7 months ago

सच बराबर ताप नहीं पर अनुच्छेद लेखन​

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Answered by jatinindia1512
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Answer:

साँच यानी सत्य को सबसे बड़ा तप और झूठ को सबसे बड़ा पाप माना गया है । सत्य में अद्‌भुत शक्ति होती है । कोई चाहे लाख कोशिश कर ले, अंत में सत्य ही जीतता है । झूठ कभी जीतता भी है तो यह जीत स्थायी नहीं होती । इसलिए ज्ञानी लोग सच को धारण करने की सीख देते हैं और झूठ से दूरी बनाए रखने के लिए कहते हैं । गाँधी जी ने सत्य को अपनाया और सुकरात सच की खातिर गरल पी गए । झूठा आरोप लगाने वाले विश्वामित्र हार गए और सत्यवादी हरिश्चंद्र जीत गए । अत: सत्य के मार्ग पर चलना ही अच्छा है । इस मार्ग पर चलने में कठिनाइयों आएँ तो भी घबराना नहीं चाहिए । सच्चाई का सामना करने से आत्मा को संतुष्टि मिलती है और मन में साहस, धैर्य जैसे गुणों का वास होता है । इन्हीं कारणों से ज्ञानी जन साँच को सबसे बड़ी तपस्या मानते हैं । सत्यवादी को कोई अन्य तप करने की जरूरत नहीं होती है । सत्य रूपी अग्नि में तपकर उनका इहलोक और परलोक सुधर जाता है ।

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