Hindi, asked by krishnabhandari6397, 3 months ago

सच्ची घटना का वर्णन करते हुए बताइए कि कोई भी पढ़ी-लिखी और समझदार स्त्री कैसे अपने परिवार को टूटने से बचा देती है।​

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Answered by ranjaysharma92506594
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Answer:

हमारे देश में परिवार को सबसे ज़्यादा अहमियत दी जाती है. लोग अपने परिवार के लिए क्या नहीं कर गुज़रते. कभी परिवार की ख़ुशी के लिए अपनी निजी ख़ुशियों की क़ुर्बानी देते हैं. तो, कभी परिवार के साथ मिल-जुलकर रहने और परिवार को ख़ुश रखना ही अपनी ज़िंदगी का मक़सद बना लेते हैं.

दुनिया के बहुत से देशों में परिवार को तरज़ीह देने की संस्कृति है. वहीं कुछ ऐसे देश भी हैं जहां मां-बाप और बच्चे ग़ैरों की तरह ज़िंदगी गुज़ारते हैं. ख़ुदपरस्ती इनकी संस्कृति का हिस्सा है. बुज़ुर्ग मां-बाप को साथ रखना निजी ज़िंदगी में दख़लअंदाज़ी माना जाता है.

पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि भूमंडलीकरण की वजह से उन देशों में भी परिवार टूट रहे हैं, जहां अकेले रहने की रिवायत नहीं है. भारत की ही बात करें तो बड़ी संख्या में लोग रोज़गार की तलाश में गांवों से शहरों में या विदेशों में पलायन कर रहे हैं.

जिसकी वजह से ना चाहते हुए भी परिवारों में एक दूरी बन रही है. यही हालात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हैं और आज रिसर्च का विषय बन गए हैं.

ब्रिटेन में स्टैंड अलोन नाम की एक संस्था है, जो परिवार से अलग हो चुके लोगों की मदद करती है. इस संस्था की रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि ब्रिटेन में हर पांचवें परिवार में कोई एक सदस्य परिवार से अलग होता है.

इसी तरह अमरीका में क़रीब दो हज़ार मांओं और उनके बच्चों पर की गई रिसर्च बताती है कि दस फ़ीसद माएं अपने बच्चों से अलग हो चुकी हैं. अमरीका की ही एक और रिसर्च बताती है कि कुछ समुदायों में मां-बाप का बच्चों से अलग होना इतना ही आम है जितना कि तलाक़ होना.

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