Hindi, asked by diyagupta475, 4 days ago

सच्चेवमत्र क़ी क्या पहचान है, बताते हुए सांबांवधत दोहे का अथय उदाहरण सवहत स्पष्ट क़ीवजए |

Answers

Answered by shirkeprajkta15
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Answer:

मित्र एक अनमोल धन – एक सच्चा मित्र ही व्यक्ति के दुख में काम आता है, अतः वह अनमोल धन से भी बढ़कर होता है। मित्र रूपी यह धन किसी को मिलना कठिन होता है। जो लोग भाग्यशाली होते हैं, उन्हें ही सच्चे मित्र मिल पाते हैं। सच्चा मित्र उस औषधि के समान होता है जो उसे पीड़ा से बचाता है। इतना ही नहीं वह अपने मित्र को कुमार्ग से हटाकर सन्मार्ग की ओर ले जाता है और उसे पथभ्रष्ट होने से बचाता है।

Explanation:

सच्चे मित्र की पहचान करना बड़ा कठिन काम होता है। किसी व्यक्ति में कुछ गुणों को देखकर लोग उसे मित्र बना बैठते हैं। ऐसे मित्र बुरा समय आने पर उसी तरह साथ छोड़ जाते हैं, जैसे-जाल पर पानी मछलियों का साथ छोड देता है। ऐसे में हमें जल जैसे स्वभाव वाले व्यक्ति को मित्र बनाने की भूल नहीं करनी चाहिए

इतिहास में अनेक उदहारण हैं, जब लोगों ने अपने मित्र के साथ सच्ची मित्रता का निर्वाह किया। उनकी मित्रता दूसरों के लिए आदर्श और अनुकरणीय बन गई। इस क्रम में कृष्ण और सुदामा की मित्रता विशेष रूप से उल्लेखनीय है। श्रीकृष्ण और सुदामा की स्थिति में ज़मीन आसमान का अंतर था। कहाँ कृष्ण द्वारिका

के राजा और कहाँ सुदामा भीख माँगकर जीवन यापन करने वाले ब्राह्मण। कृष्ण ने ‘कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली’ की लोकोक्ति झुठलाकर सुदामा को इतना कुछ दिया कि उन्हें अपने समान बना दिया और सुदामा को इसका पता भी न लगने दिया।

दूसरा उदाहरण श्रीराम और सुग्रीव का है। श्रीराम ने सुग्रीव की मदद की और सुग्रीव ने अंत समय तक श्रीराम की सहायता की, जबकि राम अयोध्या के राजा और सुग्रीव मामूली से वानर राज।

इसी तरह कर्ण और दुर्योधन की मित्रता का उदाहरण उल्लेखनीय है। कर्ण जानता था कि दुर्योधन का साथ देने के कारण उसे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ेगा, परंतु अपनी जान की परवाह न करके उसने दुर्योधन का साथ निभाते हुए प्राण दे दिया।

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