Hindi, asked by sadajivan, 1 year ago

sada jivan uchch vichar essay in hindi

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Answered by vikascricket18
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◆Hey friend◆
Here is your answer.

प्रस्तुत विषय एक बहुत ही प्रचलित मुक्ति हें, जो परंपरा से आज तक मान्य होती चली आ रही है । इसका सामान्य अर्थ यही है कि मादा जीवन व्यतीत करना चाहिए तथा अपनी भावनाओं को महान् बनाए रखना चाहिए । देखा जाए तो प्रत्येक देश व काल में सादगी को महत्त्व दिया जाता रहा है ।

महान् व्यक्तियों का किसी भी देश में अभाव नहीं रहा है । कुछ व्यक्तियों की ख्याति संसार भर में फैल जाती है । देशभक्त हों या विज्ञानी, गजनीतिज्ञ हों या साहित्यकार अथवा दार्शनिक- सभी में कुछ-न-कुछ विशेषता अवश्य होती है । ऐसे व्यक्ति संसार में कम ही हैं, जो जन्म से ही विख्यात होते है । अधिकांश यह ख्याति उन्हें अपने चरित्र-बल और परिश्रम से ही प्राप्त होती है ।

संसार में ऐसे व्यक्ति कम नहीं, जो एक साधारण कुल में जनमे, परंतु अपने सदगुणों नथा परिश्रम से बहुत ऊँचे उठ गए । यों तो करोड़ों व्यक्ति संसार में जन्म लेते है और मृत्यु को प्राप्त होते हैं, परंतु इस संसार में सभी का नाम अमर नहीं रहता ।

संसार में वे ही लोग अमर होते है जिनकी आत्मा महान् होती है और जो संसार में अपने पीछे ऐसे आदर्श छोड़ जाते हैं, जिनसे प्रेरणा पाकर अगली पीढ़ी अपना मागदर्शन पा सके । अधिकांशत: वे मध्यम वर्ग के घरों में पलते हैं, परंतु इतने सादे जीवन में भी उनमें उच्च विचार जन्म लेते हैं और उन्हीं में वे विकसित भी होते हैं ।

जीवन में सादगी लाना और तुच्छ विचारों को हृदय से दूर कर देना अपने आप में महान् गुण है । अपने पर गर्व करना एक बड़ा दोष है । जीवन को सादा बनाने के लिए इस दोष का दूर करना नितांत आवश्यक है । सादा जीवन व्यतीत करनेवाला विनयशील, शिष्ट तथा आत्मनिर्भर होता है ।

मनुष्य में विनय, औदार्य, सहिष्णुता, साहस, चरित्र-बल आदि गुणों का विकास होना अति आवश्यक है । इनके बिना उसका जीवन सफल नहीं हो सकता । इन गुणों का प्रभाव उसके जीवन और विकास पर अवश्य पड़ता है । रहन-सहन, वेशभूषा, आचार- विचार का एक स्तर होना चाहिए । बड़े-से-बड़े कष्ट में भी धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए; अपव्ययी नहीं होना चाहिए और विपुल मात्रा में धन होने पर भी धन का अपव्यय नहीं करना चाहिए ।

कोई भी विद्यार्थी, जो किसी विश्वविद्यालय में शिक्षा पाता है और जिसके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, उसके लिए यही उचित है कि वह मितव्ययी बने और अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखे । कहने का तात्पर्य यह है कि वह अपने जीवन को यथासंभव सादा बनाए 

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