सही रस पहचानिए.... किलकत कान्हा घुटरुवन आवत। मनिमय कनक नंद कै आंगन बिंब पकरिबै धावत। कबहु निरखहिं अपु छांह को, कर सौं पकरन चाहत।
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Answer:किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत ।
मनिमय कनक नंद कै आँगन, बिंब पकरिबैं धावत ॥
कबहुँ निरखि हरि आपु छाहँ कौं, कर सौं पकरन चाहत ।
Explanation:भावार्थ :-- कन्हाई किलकारी मारता घुटनों चलता आ रहा है । श्रीनन्द जी के मणिमय आँगन में वह अपना प्रतिबिम्ब पकड़ने दौड़ रहा है । श्याम कभी अपने प्रतिबिम्ब को देखकर उसे हाथ से पकड़ना चाहता है ।
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Explanation:
वात्सल्य रस (.... किलकत कान्हा घुटरुवन आवत। मनिमय कनक नंद कै आंगन बिंब पकरिबै धावत। कबहु निरखहिं अपु छांह को, कर सौं पकरन चाहत।)
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