Hindi, asked by sumanchaudhary760739, 8 months ago

सही उत्तर चुनकर
लगाओ-
क. सेठ धर्मपाल को अकाल के अलावा दूसरी चिंता क्या थी?
बच्चों की शिक्षा की
भूख-प्यास से व्याकुल पक्षियों की
जन-जन तक अनाज पहुँचाने की
राज्य का कर चुकाने को
ख. पाठ में तथागत' शब्द का प्रयोग किसके लिए हुआ है?
जयसेन महात्मा बुद्ध
धर्मपाल अनाथपिंडद
ग. अनाथपिंडक कौन था?
सुप्रिया का पिता
नगर सेठ
नगर का सेनापति
राजा​

Answers

Answered by XxMissCutiepiexX
4

Explanation:

पक्षियों को तड़पाकर मारकर अफसरों ने बहादुरी दिखाई, देखने वाले रो पड़े, लेकिन कुल्हाड़ी चलाने वालों का कलेजा नहीं फटा

जबलपुर। ऑफिस के बगल वाले पेड़ों पर घोंसले बनाने वाले सैकड़ों पक्षियों को तड़पा-तड़पाकर मार देने के जिम्मेदार अफसरों/कर्मचारियों ने गजब का तर्क दिया है। जबलपुर के बीएसएनएल के कार्यालय के इन जिम्मेदारों का कहना है कि पक्षियों की वजह से ऑफिस में बदबू आ रही थी। वे गंदगी फैला रहे थे। इससे कर्मचारी काम नहीं कर पा रहे थे। लेकिन, पक्षियों के मरने की तस्वीरें देखने वाला हर आम आदमी भावुक हो उठा।

न अइयो इस देश में

लोगों का कहना है कि हर साल अन्य देशों से बड़ी संख्या में पक्षी आते हैं। उक्त परिसर के वृक्षों पर भी कई बाहरी पक्षियों का बसेरा रहता था। गर्मी के बाद ये उड़ जाते थे, लेकिन इस बार ये पक्षी बाहर नहीं गए बल्कि इन्होंने स्थाई ठिकाना बना लिया था। लोगों का कहना है कि घोंसलों से पक्षियों के बच्चों को सुरक्षित बाहर निकालने के बाद भी छंटाई की जा सकती थी। लेकिन, अब तो यही कहा जाएगा कि न अइयो इस देश में।

नहीं मरे भूख-प्यास से

अपने आशियाने में बैठे परिंदों के तमाम बच्चे तड़प-तड़पकर मर गए। वे भूख-प्यास से नहीं मरे। प्राकृतिक आपदा ने भी उन पर कहर नहीं ढाया। उन पर तो इंसानी कहर टूटा है। गलती सिर्फ इतनी थी कि उनके घोंसले सरकारी ऑफिस के परिसर के पेड़ों पर थे। अचानक से फरमान हुआ कि पेड़ों की डालियां काट दी जाएं। क्योंकि, पक्षियों की वजह से यहां गंदगी फैल रही है। इस तरह का फरमान किसने जारी कर दिया? कुल्हाड़ी किसने चलाई? ऐसे सवाल मासूम परिंदे तो करेंगे नहीं। वे कर भी नहीं सकते। लेकिन, इस तरह की 'बहादुरीÓ ने जिस किसी ने भी दिखाई है, वह पत्थर दिल जरूर होगा। कोई भी व्यक्ति सवाल जरूर पूछेगा कि उन्हें तड़प-तड़पकर मरता देख, जिम्मेदारों का कलेजा कैसे नहीं फटा? सही बात तो यह है कि मासूम पक्षियों की तस्वीरें किसी को भी विचलित कर सकती हैं। इन्हें मरता देख यदि किसी की आंखें नम नहीं हुई होंगी, तो शायद सरकारी सिस्टम की? पक्षी आखिर पेड़ पर घोंसला नहीं बनाएंगे, तो कहां बनाएंगे? पक्षियों की मौत से हो सकता है कि किसी को फर्क नहीं पड़े। लेकिन, अपने बच्चे को मरता देखकर उसकी मां की कातर निगाहें यह जरूर कह रही होंगी कि क्या सभ्य समाज ऐसे ही होता है? कुछ लोग कह सकते हैं कि पक्षियों की मौत से कौन सा तूफान आ गया? लेकिन, सच यह भी है कि ऐसा वे लोग ही कहेंगे, जिन्होंने पक्षियों की मासूमियत का अहसास नहीं किया। तस्वीर में नजर आ रहे पक्षी की आंखों में आंखें डालकर किसका जिगरा होगा, जो कह दे कि डालियों पर कुल्हाड़ी चलाना गलत नहीं था? तस्वीर बता रही है कि यह प्रकृति के साथ अत्याचार है।

Similar questions