Business Studies, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

सहकारी संघठन स्वरूप के लक्षण गुण एवं सीमाओँ का विवेचन कीजिए। विभिन्न प्रकार की सहकारी समितियों को भी संक्षेप में समझाइए।

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Answered by nikitasingh79
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Answer:

सहकारी संघठन स्वरूप के लक्षण :  

स्वैच्छिक संगठन :  

यह व्यक्तियों का एक स्वैच्छिक संगठन होता है तथा कोई भी वयस्क व्यक्ति जब चाहे इसका सदस्य बन सकता है तथा किसी भी समय आवश्यक सूचना देकर इसकी सदस्य को छोड़ सकता है। लेकिन कोई भी सदस्य अपने अंश को किसी अन्य व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं कर सकता । किसी भी धर्म जाति या लिंग भेद का कोई भी व्यक्ति इसका सदस्य बन सकता है।

प्रजातंत्रात्मक प्रबंध :  

इन संगठनों का प्रबंध प्रजातंत्रात्मक आधार पर किया जाता है ‌। इसका प्रबंध एक प्रबंध समिति द्वारा किया जाता है।  समिति के सदस्यों का चयन आम सभा में मतों के आधार पर किया जाता है।  

मताधिकार की समानता :  

इसमें प्रत्येक सदस्य को एक मत देने का अधिकार होता है,  भले ही उसके पास समिति के कितने ही अंश क्यों न हों। इस प्रकार यह समानता के सिद्धांत आधारित संगठन होता है।  

 

अंशों का हस्तांतरण :  

सरकारी संगठन के सदस्य सार्वजनिक कंपनी की भांति खुले बाजार में अंशों का क्रय विक्रय नहीं कर सकते हैं।

वित्तीय व्यवस्था :  

इन संगठनों की वित्त प्राप्ति के स्रोत सदस्य को बेचे गए अंशों  से प्राप्त पूंजी, सरकार से प्राप्त ऋण एवं सरकार से प्राप्त अनुदान आदि हैं।  

पृथक वैधानिक अस्तित्व :  

सरकारी संगठनों का भी कंपनी की भांति पृथक वैधानिक अस्तित्व होता है अर्थात समिति अपने नाम से संपत्ति रख सकती है, अनुबंध कर सकती है, समिति पर मुकदमा चलाया जा सकता है तथा समिति भी अपने पक्षकारों के विरुद्ध मुकदमा चला सकती है । सहकारी समिति का पंजीकरण अनिवार्य है।  

सीमित दायित्व :  

सहकारी समिति के सदस्यों का दायित्व उनके द्वारा पूँजी के रूप में योगदान की गई राशि तक सीमित है। किसी भी सदस्य के लिए यह राशि अधिकतम जोखिम की सीमा है।  

सहकारी संगठन के गुण :  

वोट की समानता :  

सहकारी समितियां एक व्यक्ति एक वोट के सिद्धांत से शासित होती हैं। अतः प्रत्येक सदस्य को वोट का समान अधिकार प्राप्त होता है।  

सीमित दायित्व :  

एक सहकारी समिति के सदस्यों का दायित्व उनके पूंजी योगदान की सीमा तक सीमित है। इसलिए, सदस्यों की व्यक्तिगत संपत्ति व्यावसायिक ऋणों को चुकाने के लिए इस्तेमाल होने से सुरक्षित है

स्थायित्व :  

सहकारी समिति की निरंतरता पर इसके सदस्यों की मृत्यु, दिवालिया होने अथवा पागलपन आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।  

 

स्थापना में सरलता :  

सहकारी समिति की शुरुआत न्यूनतम दस सदस्यों के साथ की जा सकती है। पंजीकरण प्रक्रिया सरल है जिसमें कुछ कानूनी औपचारिकताएं शामिल हैं। इसका गठन सहकारी समितियों अधिनियम 1912 के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित है

सरकारी सहायता :  

सहकारी समितियों की स्थापना लोकतांत्रिकता एवं धर्मनिरपेक्षता के आधार पर की जाती है अतः इनको विभिन्न प्रकार के सरकारी सहायता उपलब्ध होती है जैसे आयकर में छूट, अनुदान ,पंजीकरण शुल्क में छूट, कम ब्याज दर पर ऋण आदि।

 

सस्ती दर पर वस्तुएं उपलब्ध कराना :  

यह समितियां सीधे थोक व्यापारियों अथवा उत्पादकों से बड़ी मात्रा में वस्तुएं  खरीदती है था अतः इनको वस्तुएं सस्ती दर पर उपलब्ध हो जाती हैं।  फलस्वरुप सदस्यों को भी ये सस्ती दर पर वस्तुएं उपलब्ध करा देती।  

 

सहकारी समितियों की सीमाएं :

सीमित वित्तीय साधन :  

इन समितियों के पास पूंजी की कमी रहती है क्योंकि इनके सदस्य प्राय:  वही व्यक्ति बनते हैं जिनकी सीमित साधन होते हैं। दूसरे, निवेश पर लाभांश की दर नीचे रहने के कारण भी कम सदस्य बन पाते।  

 

गोपनीयता का अभाव :  

प्रत्येक सहकारी समिति पर प्रकट करने का दायित्व है, अतः समिति प्रचालन के संबंध में गोपनीयता बनाए रखना कठिन है।

सरकारी नियंत्रण :  

समितियों को सरकारी सहायता सुलभ होने के कारण अपने खातों का अंकेक्षण एवं खाते जमा करने आदि से संबंधित अन्य नियमों का पालन करना होता है। इस प्रकार समिति के संचालन की स्वतंत्रता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।

जनता के विश्वास में कमी :

कभी-कभी कुछ राजनीति से प्रेरित व्यक्ति इन  समितियों की प्रबंधकीय समिति के सदस्य बन जाते हैं। फलस्वरूप जनता का समितियों से विश्वास उठ जाता है।  

सहकारी समितियों के प्रकार :  

उपभोक्ता सहकारी समितियां :  

उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए उपभोक्ता सहकारी समितियों का गठन किया जाता है।

उत्पादक सहकारी समितियां :  

इस प्रकार की समितियां छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए स्थापित की गई हैं।

विपणन सहकारी समितियां  :  

इस प्रकार की समितियां अपने उत्पादों को बेचने में छोटे उत्पादकों की मदद करने के लिए स्थापित होते हैं।

कृषि सहकारी समितियां :  

इस प्रकार की समितियों का गठन उचित लागत पर बेहतर आदान प्रदान करके किसानों के हितों की रक्षा के लिए स्थापित हैं।

सहकारी ऋण समितियां :  

इस प्रकार की समितियों की स्थापना सदस्यों को आसान शर्तों पर कर्ज उपलब्ध कराने के लिए की जाती हैं।  

सरकारी आवास समितियां :  

इस प्रकार की समितियों की स्थापना सीमित आय वर्ग के व्यक्तियों को उचित मूल्य पर मकान निर्मित करने हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए की जाती हैं।  

 आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

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साझेदारी के विभिन्न प्रकारों में व्यावसायिक स्वामित्व तुलनात्मक रूप से लोकप्रिय क्यों नहीं हैं? इसके गुणों एवं सीमाओं की समझाइए।

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Answered by Anonymous
3

Answer:

Explanation:

सहकारी समिति (cooperative) लोगों का ऐसा संघ है जो अपने पारस्परिक लाभ (सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक) के लिए ... औद्योगिक क्रांति के कारण आर्थिक तथा समाजिक असंतुलन के परिणाम स्वरूप भारत में सहकारी आंदोलन की शुरूआत हुई। ... सहकारी समिति, संगठन का एक प्रकार है जिसमें व्यक्ति अपनी इच्छा से, समानता के आधार पर अपने आर्थिक हितों के लिए मिलकर कार्य ... एक व्यक्ति किसी भी समय सहकारी समिति का सदस्य बना सकता है, जब तक चाहे उसका सदस्य बना रह सकता है और जब चाहे सदस्यता छो ...

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