सहयाग करगता
(ख)वन महोत्सव
विषय प्रवेश- वन महोत्सव का सम्बन्ध वनों से होता है। वनों और प्राणियों का सम्बन्ध बहुत पुराना है।
मानव वनस्पति के बिना नहीं रह सकता, बड़े दुर्भाग्य की बात है कि इन वनों को अन्धाधुन्ध काटा जा रहा
है। इस भूल के सुधार के लिए आजाद भारत ने 1950 ई० में वन महोत्सव मनाना आरम्भ किया। गाँवों
और शहरों में यह उत्सव अलग-अलग प्रकार के वृक्ष लगाकर मनाया जाता है।
वनों का नाश :- वनों की अवैध कटाई ने पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया है। वषों से लगातार
अवैध कटाई ने जहां मानवीय जीवन को प्रभावित किया है, वहीं असंतुलित मौसम चक्र को भी जन्म दिया
है। वनों की अंधाधुंध कटाई होने के कारण देश का वन क्षेत्र घटता जा रहा है, जो पर्यावरण की दृष्टि से
अत्यंत चिंताजनक है। विकास कार्यों, आवासीय जरूरतों, उद्योगों तथा खनिज दोहन के लिए भी, पेड़ों-वनों
की कटाई वर्षों से होती आई है। कानून और नियमों के बावजूद वनों की कटाई धुआंधार जारी है। इसके
लिए अवैज्ञानिक व बेतरतीब विकास, जनसंख्या विस्फोट व भोगवादी संस्कृति भी जवाबदेह है।
वृक्षों का उपयोग:-
वृक्षों से स्वास्थ्य लाभ होता है क्योंकि मनुष्य के श्वास प्रक्रिया से जो दूषित हवा बाहर निकलती Kannada meaning
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