Hindi, asked by bhavya404, 1 year ago

sahitya aur samaj ek dusre ko kaise viksit karte hain

Answers

Answered by RabbitPanda
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लेखन ऐसा चाहिए,जिसमें हो ईमान |
सद्कर्म और मर्म ही,हो जिसमें भगवान ||
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जिस प्रकार आत्मा और परमात्मा का बिम्ब एक दूसरे को प्रतिबिम्बित करता है , उसी प्रकार साहित्य एवं समाज भी एक दूसरे को प्रतिबिम्बित करते हैं | लेखक एवं साहित्यकार सदा से ही अपनी लेखनी के माध्यम से समाज की प्रतिष्ठा और नीति-नियम के अनुसार अपना पावन कर्तव्य बड़ी कर्मठता से निभाते रहे हैं | इतिहास गवाह है कि साहित्यकारों के लेखन ने , न केवल यूरोपीय पुनर्जागरण में अपनी महत्वपूर्ण और सशक्त भूमिका निभाई है वरन् भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी | इसके अतिरिक्त समाज और राष्ट्र-निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान देते हुए नवाचार के द्वारा विकास का एक नया अध्याय भी लिखा | आज भी इनकी प्रासंगिकता बनी हुई है | वर्तमान में अनेक प्रकार की सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक-भौगोलिक-ऐतिहासिक और सामरिक समस्याऐं वैश्विक समुदाय के सामने उपस्थित हैं जैसे– आतंकवाद , नक्सलवाद, मादक द्रव्यों की तस्करी , भ्रष्टाचार, भ्रूण हत्या, बलात्कार , गरीबी , बेरोजगारी , भूखमरी , साम्प्रदायिकता , ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन क्षरण , एलनीनो प्रभाव ,सीमा पार घुसपैठ , अवैध व्यापार इत्यादि-इत्यादि | इस प्रकार की अनेक समस्याओं को लेखक अपनी सशक्त लेखनी के माध्यम से निर्भीक और स्वतंत्र होकर समाज के सामने उपस्थित करता है , ताकि देश के जिम्मेदार नागरिकों में जन-जागरूकता और सतर्कता का प्रसार हो ,और वे अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझें |

@skb

bhavya404: sorry l need my answer in two lines
Answered by NabasishGogoi
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साहित्य समाज का दर्पण है । एक साहित्यकार समाज की वास्तविक तस्वीर को सदैव अपने साहित्य में उतारता रहा है । मानव जीवन समाज का ही एक अंग है ।

NabasishGogoi: okay done.
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