Sajjanta par shlok In sanskrit
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वाच्छा सज्जनसंगमे परगुणे प्रीति र्गुरौ नम्रता
विद्यायां व्यसनं स्वयोषिति रतिः लोकापवादाग्भयम् ।
भक्तिः शूलिनि शक्तिरात्मदमने संसर्गमुक्तिः खले
ष्वेते येषु वसन्ति निर्मलगुणाः तेभ्यो नरेभ्यो नमः ॥
अच्छी सोबत की ईच्छा, पराये के गुणों में प्रीति, बडों के प्रति नम्रता, विद्या का व्यसन, स्वपत्नी पर प्रेम, लोकनिंदा का भय, ईश्वर की भक्ति, आत्मदमन की शक्ति, और दृष्टों से दूर रहना – ये निर्मल गुण जिस में हो, उस मानव को नमस्कार ।
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