Sakhi poem summary in hindi
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Shabd barabar dhan nahi, jo koi jaane bolHeera to damo mile, shabd mol na tolशब्द बराबर धन नहीं, जो कोई जाने बोल |हीरा तो दामो मिले, शब्द मोल न टोल ||He who is good at speaking understands that there is no wealth likewords. A diamond can be purchased for a value. One do not justhave any means for valuation of word
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साखी
"साखी" कबीर जी की सुन्दर रचनाओं में से एक सुन्दर रचना है। इस कविता में कबीर जी कहते हैं कि हमे ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जिससे हमारा घमंड ना झलकता हो। इससे हमारे मन को शांति मिलेगी और सुनने वाले को भी शांति की महसूस होगी। जिस प्रकार कस्तूरी हिरण के नाभि में होती है जिसकी खोज में वह जंगल में घूमता रहता है ठीक उसी प्रकार मनुष्य भी अपने हृदय में बसे ईश्वर को ना देखकर उसे अन्य जगह ढूँढता रहता है। जब तक मनुष्य के ह्रदय में अहंकार का वास रहेगा तब तक उसे ईश्वर की प्राप्ति होना असंभव है।
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