Saksharta Abhiyan shirshak par anuched likhiye
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साक्षरता का अर्थ है – अक्षर ज्ञान होना । दूसरे शब्दों में, पढ़ने-लिखने की क्षमता का होना ही साक्षरता है । आज की दुनिया में सामान्य ज्ञान का बहुत महत्त्व है । इससे युक्त व्यक्ति को ही सफलता मिल सकती है । अनपढ़ व्यक्ति ज्ञान और जानकारी के अथाह भंडार से वंचित रह जाता है । वह कुएँ के मेढक के समान अपनी संकीर्ण दुनिया में ही कैद रह जाता है । वह न तो अधिकारों का सही प्रयोग कर सकता है न ही जनसामान्य के लिए उपलब्ध सुख-सुविधाओं का लाभ उठा सकता है । आज व्यक्ति का साक्षर होना अनिवार्य हो गया है । निरक्षरता एक दुर्गुण बन गया है । इसलिए आजकल हर कोई पढ़ना-लिखना चाहता है । सरकार तथा समाज की ओर से देश के हर नागरिक को साक्षर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं । इसके लिए सभी स्थानों पर स्कूल खोले गए हैं । हर बालक को साक्षर बनाने के लिए अभियान चलाए गए हैं । इस नेक कार्य में जनता की भागीदारी आवश्यक है । इक्कीसवीं सदी में यदि भारत का हर नागरिक साक्षर हो जाए तो यह हमारी महान उपलब्धि होगी ।
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साक्षरता ही है श्रृंगार हमारा, वरना व्यर्थ है जीवन सारा.
साक्षरता का अर्थ होता है शिक्षा की प्राप्ति. बिना शिक्षा के जीवन अन्धकार के समान हो जाता हैं. भारत में प्रत्येक नागरिक को बेसिक शिक्षा का मौलिक अधिकार दिया गया हैं. साक्षरता के इस अभियान से वे जुड़कर अपने जीवन के सारे सपने साकार कर सफल इंसान बन सकता हैं. जीवन के किसी भी क्षेत्र में मुकाम पाने के लिए जितनी जरूरत मेहनत की होती हैं उतनी ही आवश्यकता ज्ञान की भी हैं/
साक्षरता के इस अभियान की शुरुआत 1966 में यूनेस्को द्वारा शुरू की गई, हर साल 8 सितम्बर को विश्व साक्षरता दिवस मनाना इसी अभियान का हिस्सा हैं1995
iss आंदोलन के जरिये भारत में शिक्षा का खूब प्रसार प्रचार हुआ. सरकार तथा यूनेस्कों के सहयोग से सर्व शिक्षा अभियान प्रौढ़ शिक्षा अभियान , मिड डे मील योजना और राजीव गांधी साक्षरता मिशन मुख्य योजनाएं थी.
भारत सरकार अपने हर मुमकिन प्रयास किये जा रहे हैं.
6 से 14 वर्षों के बालक बालिकाओं को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा दी जा रही हैं. 15 से 35 वर्ष की आयु के लोग जो पूर्व में साक्षर नहीं हो पाए तथा शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं वे प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के द्वारा शिक्षा पा सकते हैं.
गरीबी , लिंग अनुपात सुधारने , भ्रष्टाचार और आतंकवाद जैसी समस्याओं का मूल कारण ही साक्षरता का अभाव हैं. भारत की साक्षरता दर में सुधार के साथ ही विकास के उच्च लक्ष्यों की प्राप्ति तथा सामाजिक समस्याओं की समाप्ति भी साक्षरता के प्रचार से ही संभव हैं
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