Hindi, asked by preetkauransh, 4 months ago

समूह का नाम संगत नहीं। जहाँ प्रेम नहीं है, वहाँ लोगों की आकृतियां चित्रवत हैं और उनकी बातचीत झांझर की झंकार है।" यह किसका कथन है? *​

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Answered by Anonymous
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Answer:

प्रेम

Explanation:

"समूह का नाम संगत नहीं। जहाँ प्रेम नहीं है, वहाँ लोगों की आकृतियां चित्रवत हैं और उनकी बातचीत झांझर की झंकार है।"

ये कथन बिल्कुल सच है।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।वो अकेले नहीं रह सकता।उससे मित्रो और रिश्तेदारों की बोहोत ज़रूरत पड़ती है है।दुख सुख जीवन में चलते ही रहते हैं यदि कोई संगी साथी हो बोहोत सहारा हो जाता है।

संत कवि कबीर कहते हैं कि यदि हम एक बार प्रेम का धागा तोड़ देते हैं तो दोबारा जोड़ने पर उसमें गांठ पर जाती है।इसीलिए प्रेम का धागा कभी का तोड़ें। चाहे कोई भी रिश्ता हो हमेशा प्रेम और धैर्य से निभाएं।

यदि रिश्ते में प्रेम नहीं हो तो संगत संगत नहीं समूह है।ऐसे में लोग रिश्तेदार और मित्र नहीं बल्कि एक बेजान चित्र और बेजान मूर्ति की तरह लगते हैं।

उनकी बातों में सिर्फ आवाज़ है लेकिन दिल तक पहुंचने वाला संगीत नहीं है।

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