समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी
लोगों का ही दिया हुआ है - 'गिन्नी का सोना पाठ' के आधार पर 80-17
100 शब्दों में कथन का विश्लेषण कीजिए।
Answers
यह कथन उचित ही है की "समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है"
हम जानते हैं आदर्श और मूल्यों का संबंध घनिष्ठ है बिना आदर्श के मूल्य नहीं हो सकते तथा बिना मूल्यों के आदर्श स्थापित नहीं हो सकता |
उदाहरण के लिए हम आज भी राम राज्य की बात करते हैं | भगवान राम का राज्य एक आदर्श है | लेकिन क्या बिना मूल्यों के आदर्श स्थापित हो सकता है?, बिल्कुल नहीं | जब तक हनुमान जैसे भक्त, भरत जैसे भाई और राम के जैसे राजा नहीं होंगे राम राज्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती |
इसी प्रकार महाभारत में कृष्ण और अर्जुन धर्म की रक्षा के लिए आदर्श प्रस्तुत करते हैं |
अतः यह स्पष्ट है की समाज में शाश्वत मूल्य तो आदर्शवादी व्यक्तियों की देन है |
भगवद गीता
Chapter 3: Karma-yoga
TEXT 21
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः । स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ॥
भावार्थ : श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण करता है, अन्य पुरुष भी वैसा-वैसा ही आचरण करते हैं। वह जो कुछ प्रमाण कर देता है, समस्त मनुष्य-समुदाय उसी का अनुसरण करता है |
Answer:
यह कथन उचित ही है की "समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है"
हम जानते हैं आदर्श और मूल्यों का संबंध घनिष्ठ है बिना आदर्श के मूल्य नहीं हो सकते तथा बिना मूल्यों के आदर्श स्थापित नहीं हो सकता |
उदाहरण के लिए हम आज भी राम राज्य की बात करते हैं | भगवान राम का राज्य एक आदर्श है | लेकिन क्या बिना मूल्यों के आदर्श स्थापित हो सकता है?, बिल्कुल नहीं | जब तक हनुमान जैसे भक्त, भरत जैसे भाई और राम के जैसे राजा नहीं होंगे राम राज्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती |
इसी प्रकार महाभारत में कृष्ण और अर्जुन धर्म की रक्षा के लिए आदर्श प्रस्तुत करते हैं |
अतः यह स्पष्ट है की समाज में शाश्वत मूल्य तो आदर्शवादी व्यक्तियों की देन है |
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