Sociology, asked by sunnykumar9971, 10 months ago

समाजीकरण को परिभाषित करें । समाजीकरण के कारक कोन से हैं ? ​

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Answered by riyaz6595
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Answer:

समाजीकरण की प्रक्रिया तब शुरू हो जाती है जब अबोद्ध बालक का अपने माता पिता , परिवार के सदस्यों तथा अन्य व्यक्तियों के संपर्क में आना शुरू हो जाता है और फिर यह कार्य जीवन भर चलता है | बालक जैसे जैसे बड़ा होता है वैसे वैसे वह सहयोग सहानुभूति तथा सामाजिक मूल्यों एवं नियमों को अच्छी तरह घ्राण कर लेता है | किशोरावस्था के अंत तक बालक में सर्वाधिक परिपक्वता का विकास होता है | इस अवधि में सामाजिक चेतना को प्राप्त करता है , अधिक से अधिक मित्र बनाता है तथा समूह बनता है।

विभिन्न अवस्थाओं में समाजीकरण की प्रक्रिया

जन्म के बाद एक बालक का सामाजिक विकास भिन्न भिन्न अवस्थाओं में भिन्न भिन्न तरीकों से होता है। जनका वर्णन निम्नलिखित है

1. शैवावस्था में सामाजिक विकास इस काल में सामाजिक विकास की विशेषताएं इस प्रकार हैं

१. स्वयं केंद्रित बालक

२. माता पिता पर आश्रित बालक

३. सामाजिक खेल का विकास

४. स्पर्धा की भावना

५. मैत्री और सहयोग

६. सामाजिक स्वीकृति

हरलॉक ने पहले दो वर्ष में होने वाले सामाजिक विकास को निम्न ढंग से प्रस्तुत किया है

1. पहले माह में मानव और अन्य ध्वनि अंतर समझना

2. दूसरे माह में मानव ध्वनि को पाचनना तथा मुस्कान के साथ स्वागत करना

3. तीसरे माह में अपनी माता को पहचानना तथा उस से दूर होने पर दुखी होना।

4. चार माह में व्यक्तियों के चेहरों को पहचानना

5. पांच माह में क्रोध या प्यार की आवाज पहचानना

6. छह-सात माह में परिचितों का मुस्कान से स्वागत करना

7. आठ या नौ अपनी परछाई से खेलना

8. चौबीस माह में बड़ों के काम में हाथ बटाने का प्रयतन करना

बाल्यावस्था में सामाजिक विकास

इस अवस्था में बालक में कई परिवर्तन आजाते हैं प्रकार हैं

1 छोटे समूहों में खेलना

2 दुसरो से स्नेह की अपेक्षा

3 दल के प्रति वफ़ादारी

4 आदतों का निर्माण

5 सहयोग की भावना

6 लिंग विभाजन का समय

7 मित्रों का चुनाव

8 सामाजिक सूझ का विकास

9 नेता बन ने की इच्छा

10 प्रिय कार्यों में रूची

किशोरावस्था में सामाजिक विकास

इस अवस्था में किशोर की रूचि परिवार से हैट कर बाहरी दुनिया की तरफ हो जाती है। वह माता पिता से साथियों के लिए लड़ाई कर सकता। बालक उग्र प्रवृति का हो जाता है। इस समाय वह अपने लिए आदर्श चुन लेता है वह अच्छा या बुरा हो सकता है। किशोरावस्था के परिवर्तन निम्न हैं

1 किशोरों की सामाजिक चेतना का विकास तीव्र गति से होता है

2 किशोर अपने वातावरण सजग होता है

3 किशोर के सामाजिक विकास में उनके शरीर का अधिक योगदान होता है

4 जो किशोर कमजोर बीमार तथा शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं उन्हें कोई अपने पास बिठाना पसंद नहीं करता

5 इस अवस्था में किशोर को पता लग जाता है की उनकी सामाजिक मान्यता किस स्थान पर है और किस स्थान पर नहीं है

6 किशोरों को अनुभव होने लगता है की उनके माता पिता उन्हें अच्छी तरह नहीं समझते और उन्हें उचित आजादी नहीं देते।

7 किशोरावस्था में योन विकास के कारन लड़के लड़कियां आपस में मिलना, बात करना और सामाजिक कार्यों में भाग लेना चाहते हैं।

8 समान रूचि वाले किशोरों मित्रता का विकास होने लगता है।

9 माता पिता और परिचितों से अपनी प्रंशंसा सुनना , रूठना और अपनी बात मनवाना उनका ध्येय हो जाता है।

किशोरों के समाजीकरण की विशेषताएं

1 समूहों का निर्माण करना

2 समूहों के प्रति वफ़ादारी

3 विद्रोह की भावना रखना

4 मैत्री भावना का विकास

5 व्यवसाय चयन में रूचि दिखाना

6 सामाजिक परिपक्वता की भावना स्वयं भरना

7 बहिर्मुखी प्रवृति दिखाना

समाजीकरण की प्रक्रिया में योग दान देने वाले कारक

विभिन्न अवस्थाओं में होने वाला समाजीकरण अनेक कारकों से प्रभावित होता है और वे कारक इस प्रकार हैं

1. विद्यालय बालक के सामाजिक विकास में विद्यालय का सर्वाधिक योगदान होता है। विद्यालय में बालकों को अन्य बालको से मिलने जुलने के का अवसर मिलता है तथा विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेने का मौका मिलता है जो उसके सामाजिक विकास की दिशा निर्धारित करते हैं।

टॉमसन के अनुसार विद्यालय बालकों का मानसिक , चारित्रिक , सामुदायिक , राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय विकास करता है तथा स्वाथ्य रहने का प्रशिक्षण देता है।

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