समाज में बड़ों एवं छोटो के प्रति कार्य व्यवहार
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शिष्टाचार एक आदमी के लिए आचरण या व्यवहार के नियम सिखाकर उसे समाज में रहने के लिए सक्षम बनाते हैं। अच्छे शिष्टाचार किसी व्यक्ति को विशिष्ट परिस्थितियों में व्यवहार, प्रतिक्रिया या कार्य करने का तरीका सिखाते हैं। वे मानव जीवन के आवश्यक अंग हैं जिनके बिना मानव जीवन, प्रगति और समृद्धि रुक सकती है। कुछ शिष्टाचार के नियम हैं जिनका पालन हम सभी को करना चाहिए। जैसे -
सभी को नमस्कार जो घर आए या कॉल करता है
शिष्टाचार के अन्तर्गत हमारे दोस्त, हमारे माता-पिता या दादा-दादी, या कोई और, हमेशा अपने से बड़ो का सम्मान खड़े होकर करना चाहिए। जब कोई हमारे घर आए और जब वे निकलते हैं। भारत में, हम बड़ो के पैर छूकर आशीर्वाद भी मांगते हैं।
'कृपया' (प्लीज)
किसी से कुछ भी कहने या मांगने से पहले ‘कृपया’ कहना चाहिए।
धन्यवाद’ (थैंक्यू)
हमेशा अपने बच्चे को बताना चाहिए कि जब भी कोई आपको कुछ देता है तब उसे ‘धन्यवाद’ कहकर आभार प्रकट करना चाहिए।
बड़ो के बीच में न बोलना
जब आपके बच्चे कुछ कहना चाहते हैं - तो उन्हें कहना सीखाएं ‘कृपया माफ कीजिए’। उन्हें बताएं कि जब बड़े बात कर रहे हों तो कभी भी बड़ों को बीच में न रोकें। बड़ो को भी अपने बच्चों की बात ध्यान से सुननी चाहिए। क्योंकि बच्चे हमेशा बड़ो का देखकर ही सीखते हैं।
दूसरों की राय का सम्मान करें
कभी भी किसी पर अपनी राय थोपने की कोशिश न करना चाहिए। सभी की राय का सम्मान करना चाहिए। हर व्यक्ति अलग और अनोखा होता है।
बाहरी स्वरुप को देखकर मज़ाक न उड़ाएं
बच्चों को शारीरिक सुंदरता से परे देखना सिखाना चाहिए। हर इंसान अपने में खास होता है। सभी की रचना विधाता ने की है। उसका सम्मान करना सिखाना चाहिए।
दरवाजा खटखटाना
हमेशा एक कमरे में प्रवेश करने से पहले दरवाजा खटखटाना सुनिश्चित करें। यह मूल शिष्टाचार है जो सभी लोगों को उनकी छोटी उम्र से ही सिखाया जाना चाहिए।
उपसंहार
अच्छे शिष्टाचार समाज में प्रत्येक के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये निश्चित रूप से हमें लोकप्रियता और जीवन में सफलता पाने में मदद करते हैं। क्योंकि किसी को भी शरारत और दुर्व्यवहार पसंद नहीं होता है। अच्छे शिष्टाचार समाज में रहने वाले लोगों के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता हैं।