समाज में फैली कुरीतियां लिखो
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भारत में सामाजिक मुद्दों के रुप
गरीबी
गरीबी वो स्थिति है जिसमें एक परिवार जीने के लिये अपनी आधारभूत जरुरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं होता है; जैसे: खाना, वस्त्र और घर। भारत में गरीबी विशाल स्तर पर फैली हुई स्थिति है। स्वतंत्रता के समय से, गरीबी एक प्रचलित चिंता का विषय है। ये 21वीं शताब्दी है और गरीबी आज भी देश में लगातार खतरा के रुप में बनी हुई है। भारत
वो तत्व जिसने इस स्थिति को और भी पेचीदा और दूषित कर दिया है, वो हैं सरकार द्वारा प्रदत्त अनुदान प्रणाली जिसकी वितरण प्रणाली में घोटाले, भ्रष्टाचार और लीकेज हैं जिसके कारण वो परिवारों तक योजना के अनुसार नहीं पहुँच पा रही हैं। अधिक जानें ...
असाक्षरता/अशिक्षा
अशिक्षा वो स्थिति है जो राष्ट्र के विकास पर एक धब्बा बन गयी है। भारत बहुत बड़ी अशिक्षित जनसंख्या को धारण करता है। भारत में अशिक्षा वो समस्या है जो इससे जुड़े बहुत से जटिल परिणाम रखती है। भारत में अशिक्षा लगभग देश में विद्यमान असमानताओं के विभिन्न रुपों के साथ संबंधित हैं। देश में व्याप्त असाक्षरता की दर को लिंग असन्तुलन, आय असंतुलन, राज्य असंतुलन, जाति असंतुलन, तकनीकी बाधाएँ कते हैं। अधिक जानें ...
बाल-विवाह
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत बाल विवाह की दूसरी बड़ी संख्या रखता है। शादी को दो परिपक्व (बालिग) व्यक्तियों की आपसी सहमति से बना पवित्र मिलन माना जाता है जो पूरे जीवनभर के लिये एक-दूसरे की सभी जिम्मेदारियों को स्वीकार करने के लिये तैयार होते हैं। इस सन्दगू करने के साथ ही अभी भी लगभग 50 साल लगेंगे तब जाकर कहीं परिदृश्य को बदला जा सकता है। अधिक जानें ...
अकाल/भुखमरी
भुखमरी कैलोरी ऊर्जा खपत में कमी की स्थिति को प्रदर्शित करती है, ये कुपोषण का एक गंभीर रुप है जिसकी यदि देखभाल नहीं की गयी तो अन्ततः मौत की ओर ले जाता है। ऐतिहासिक रुप से, भुखमरी भारत से अलग विभिन्न मानव संस्कृतियों में स्थिर हो चुकी है। भुखमरी किसी भी देश में बहुत से कारणों से जन्म लेती है जैसे युद्ध, अकाल, अमीर-गरीब के बीच असमानता आदि। कुपोषण की स्थिति जैसे बच्चों को होने वाली बीमारी क्वाशियोरकॉर और सूखा रोग, अकाल या भुखमरी के कारण उत्पन्न गंभीर समस्या हैं। सामान्यतः, क्वाशियोरकॉर और सूखा रोग उन परिस्थियों में होता है जब लोग ऐसा आहार लेते हैं जिसमें पोर बना गया है। ये बिल भी पूर्णतया दोष रहित नहीं हैं। लाभार्थियों की पहचान के संबंध में स्पष्ट तंत्र में परिभाषित नहीं किया गया है। गरीबी निर्धारण के संकेतकों को विशिष्ट बनाने की आवश्यकता थी जो इस बिल में बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है। अधिक जानें ...
बाल श्रम
बाल श्रम से आशय बच्चों द्वारा किसी भी काम को बिना किसी प्रकार का वेतन दिये कार्य कराना है। बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर फैला हुआ है। जहाँ तक भारत का संबंध है, ये मुद्दा दोषपूर्ण है क्योंकि ऐतिहासिक काल से यहाँ बच्चें अपने माता-पिता के साथ उनकी खेतों और अन्य कार्यों में मदद कराते हैं। अधिक जनसंख्या, अशिक्षा, गरीबी, ऋण-जाल आदि सामान्य कारण इस मुद्दे के प्रमुख सहायक हैं। जिम्मेदारी से दबें तथा ऋणग्रस्त माता-पिता अपनी परेशानियों के दबाव के कारण सामान्यसंस्थाओं के द्वारा शोषण को रोकने के लिये श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करना अनिवार्य है। अधिक जानें ...
समलैंगिकता
भारत में आज भी समलैंगिकता को निषेध माना जाता हैं। आज भारत प्रभावशाली वृद्धि दर के साथ तेजी से विकास करने वाला विकासशील देश है। लेकिन क्या वृद्धि दर ही भारत के विकासशील देश होने का दावा करने के लिये पर्याप्त है? एक राष्ट्र की विशेषता इस बात में भी निहित है कि वो अपने देश के लोगों से कैसे व्यवहार करता है। इस विशेषाधिकार के सन्दर्भ में, भारत का समलैंगिकता के मुद्दे पर रवैया निश्चित ही उचित नहीं है। समलैंगिकता समाज के कई वर्गों में एक बीमारी मानी जाती है और समाज में बहुत कम वर्ग हैं जो समलैंगिकता को स्वीकार करते हैं। यही कारण है कि समलैंगिकता भारत में दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। समलैंगिकता 1861 के कानून की तरह आज भी भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के अन्तर्गत एक दस साल के कारावास के साथ दंडनीय अपराध है जिसने सभी लोगों को ये विश्वास करना कठिन बना दिया है कि भारत एक विकामें संस्थाएँ अस्तित्व में आयी।
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Answer:
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