Hindi, asked by Satbirkaur, 1 year ago

समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है ?

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Answered by pulkitdube
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आज की मॉडर्न बदलती परिवेश में  लोगो ने रिश्तो इक अहमियत को भी बदल डाला है . अहमियत यह एक एहसास है किसी का किसी के प्रति, समझ समझ की बात है| बदलते परिवेश में रिश्तो की परिभाषा जरूर बदली है, पर रिश्तों की अहमियत आज भी पहले जितनी नही है। हर स्थिति में अपने हर रिश्ते को सदाबहार रखने का एक ही मंत्र है- हर रिश्ते को समुचित आदर देना। रिश्ता चीन के उस उत्पाद की तरह हो गया है सस्ता तो है पर कितना टिकाऊ है या नहीं इसका पता नहीं |
वर्तमान समय में रिश्तो की अहमियत इतनी बदल चुकी है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे अपनी व्यस्तता के कारण हो या अपनी निजी स्वार्थवश रिश्तो को निभाने के बजाए उसे ढो रहे हैं |
अगर अपनी पुरातन सभ्यता कि ओर देखें तो रिश्तों कि अपनी बहुत अहमियत होती थी, सिर्फ़ वास्तविक रिश्ते ही नही बल्कि अपने गाँव या शहर में भी अपने आप ही रिश्ते बनते थे जिसे लोग ऊँच - नीच के भेदभाव के बगैर निभाते थे |
 रिश्ते भी कई तरह के होते है माँ बाप, भाई बहिन, पति पत्नी, पोता पोती और बहुत से ऐसे रिश्ते जिसे हम आज के दौर में उसके साथ या उसे लेकर चल रहे है| हम लोग बहुत से ऐसे रिश्तो को भी देखते है जो इन रिश्तो से भी बहुत मजबूत है और हर रिश्ते को ताकत प्रदान करते  है| इंसानियत के रिश्तों को कोई योग्यता और किसी समय कि जरुरत नहीं होती यह तो सिर्फ अपने बुद्धि के स्तर पर रखा जाता है कि आप और हम वाकई में यही( इंसान) है या कोई और, जो इंसान को भी नहीं महत्व दे रहा है आज के इस दौर में?

रिश्ते बनाना तो आसान है मगर निभाना मुश्किल है| इसलिए रिश्तो की अहमियत को समझे, अपने इन मीठे रिश्तो के लिए भी वक़्त निकले और अपनों के साथ भी वक़्त बिताएं|अपनों के साथ बिताये वक़्त जो ख़ुशी आपको देगी वो आपको दुनिया में कही न मिलेगा|  आज के इस बदलते परिवेश ने रिश्तो ने की तो मतलब ही बदल डाला है आज कल लोग तो रिश्तो को सिर्फ सोशल मीडिया से ही निभा रहे है| मगर दोस्तों अब भी वक़्तहै संभल जाओ कहीं ऐसा न हो कही ये रिश्तो की डोर छुट न जाये |

कई लोग तो रिश्तो को आजमाना शरू कर दिए हैं | देखूं मेरा भाई या मेरा दोस्त प्यार करता है या नहीं|  उसको कई तरह से आजमाते है मगर तब भी आपकी वो हर इम्तेहान पास होता है तो आप ये कहके टाल देते है मैं तो बस यूँ ही देख रहा था| ये भी कोई बात हुई| क्या रिश्ते अब विश्वास के डोर पे नहीं बनते, क्या हमारे रिश्तो में अब यही सब  रह गया है|

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Answered by Anonymous
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आज का समाज भौतिकवाद की ओर बढ़ रहा है जिससे इंसानी रिश्तो का महत्व कम होता जा रहा है। सभी रिश्तो में स्वार्थ दिखाई देता है। आजकल घरों में बड़े आदमी को कोई नहीं पूछता वह घर में सजावटी वस्तु बनकर रह गए हैं ‌। सभी लोग आज की भागती दौड़ती जिंदगी के साथ कदम मिलाने के लिए भाग रहे हैं जिससे किसी के पास भी एक दूसरे का दुख सुख जानने का समय नहीं रहा है। भौतिकवादी और दिखावापन मैं घर के बुजुर्गों और बच्चों को एक दूसरे से दूर कर दिया है। इसे आज की पीढ़ी मानवीय रिश्तों को समझने में असफल हो गई है। समाज में रिश्तो की अहमियत में कमी आने से मनुष्य ने अपना स्वाभाविक स्वरूप खो दिया है।

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