समाज में धन का बढ़ता हुआ प्रभाव पर निबंध
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Answer: निबंध
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भारत एक लोकतांत्रिक देश है । अपने कल्याणकारी उद्देश्यों की पूर्ति अर्थात् औद्योगिक व्यापारिक तथा आर्थिक विकास, राष्ट्रीय आय में वृद्धि, व्यय तथा समानता पर आधारित वितरण तथा आय की असमानता की समाप्ति के लिए यह आवश्यक है कि सरकार की आय तथा वित्तीय साधनों में कभी किसी प्रकार की रुकावट नहीं आनी चाहिए ।
इसके लिए यह आवश्यक है कि हमारी अर्थव्यवस्था ऐसी हो, जिससे देश के वित्तीय साधनों का विनियोजन आर्थिक विकास में सहायक क्षेत्रों में हो । विगत कुछ वर्षों से हमारा देश अनेक आर्थिक और सामाजिक समस्याओं से गुजर रहा है, क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था के समानांतर एक और अर्थव्यवस्था है, जो देश की वास्तविक अर्थों में अर्थव्यवस्था बन गई है । यह व्यवस्था काले धन की है, जो हमारी राजनीति का प्राण तथा हमारी नई पश्चिमी पंचतारा, संस्कृति, सप्ततारा होटलों की वैभव वाली संस्कृति का उन्नायक है ।
काला धन सरकार की आय में रुकावट पैदा करता है तथा देश के सीमित वित्तीय साधनों को अवांछित दिशाओं में मोड़ देता है । इसके अतिरिक्त काले धन या समानांतर अर्थव्यवस्था की समस्या सामान्य समस्याओं से अलग प्रकार की समस्या है क्योंकि जब हम सामान्य आर्थिक समस्याओं, यथा गरीबी, मुद्रास्फीति या बेरोजगारी के संबंध में विचार करते हैं तब हमारा ध्यान निर्धन तथा बेरोजगार आदि के समूह पर केंद्रित हो जाता है ।
परंतु जब हम काले धन या समानांतर अर्थव्यवस्था पर दृष्टिपात करते हैं तब एक विशेषता दृष्टिगत होती है, कि इसमें वह व्यक्ति या व्यक्ति समूह बिल्कूल ही प्रभावित नहीं होता, जो इस काले धन को रखता है बल्कि इससे वे व्यक्ति प्रभावित होते हैं, जो इससे वंचित रह गए हैं और साथ-ही-साथ इस देश की सरकार भी ।
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