Physics, asked by yavishalbhuranda637, 7 months ago


समान्तर में संयोजित दो प्रतिरोधों R, व R,के लिए, इनके तुल्य
प्रतिरोध में सापेक्षिक त्रुटि है (जहाँ R, = (10.0 + 0.1) तथा
R,%3D (20.04 0.4)2)

(1) 0.08
(2) 0.05
(3)0.01
(4) 0.04​

Answers

Answered by nikhithapb94
1

Answer:

जब दो या दो से अधिक प्रतिरोधों को इस प्रकार से संयोजित किया जाए की प्रत्येक प्रतिरोध में विद्युत धारा का मान एकसमान हो तो इस प्रकार के प्रतिरोधों के संयोजन को श्रेणी क्रम संयोजन कहते है।

इस प्रकार के संयोजन में प्रतिरोध का दूसरा सिरा अगले प्रतिरोध के पहले सिरे से जुड़ा रहता है और इसी प्रकार दूसरे प्रतिरोध का दूसरा सिरा तीसरे प्रतिरोध के पहले सिरे से जुड़ा रहता है जैसा चित्र में दिखाया गया है।

चित्रानुसार 3 प्रतिरोध R1 , R2 , R3 है ये तीनो श्रेणीक्रम में जुड़े हुए है , तीनो प्रतिरोधों में समान मान की धारा I प्रवाहित हो रही है , तीनो प्रतिरोधों पर विभवांतर V1 , V2 , V3 है। V1 , V2 , V3 का मान ओम के नियम से निकाल सकते है।

V1 = IR1

V2 = IR2

V3 = IR3

चूँकि परिपथ में आरोपित कुल विभवांतर Vs है।

Vs = V1 + V2 + V3

V1 , V2 , V3 का मान रखने पर

Vs = IR1 + IR2 + IR3

Vs = I (R1 + R2 + R3)

चूँकि हम जानते है की Vs = I R

Vs का मान ऊपर समीकरण में रखने पर

I R = I (R1 + R2 + R3)

अतः

R = R1 + R2 + R3

यहाँ R को श्रेणी क्रम में प्रतिरोधों का तुल्य या कुल प्रतिरोध कहते है , यहाँ हमने देखा की श्रेणीक्रम में तुल्य प्रतिरोध का मान सभी प्रतिरोधों के योग के बराबर प्राप्त होता है।

नोट : हमने 3 प्रतिरोध लेकर इसको समझा है , लेकिन 3 से अधिक प्रतिरोध होने पर भी ये ही निष्कर्ष इसी प्रकार निकाला जा सकता है।

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