Samajik mulya par aadharit pad, dohe Suvachan kijia
Answers
1. पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
अर्थ : कबीर जी कहते हैं उच्च ज्ञान पा लेने से कोई भी व्यक्ति विद्वान नहीं बन जाता, अक्षर और शब्दों का ज्ञान होने के पश्चात भी अगर उसके अर्थ के मोल को कोई ना समझ सके, ज्ञान की करुणा को ना समझ सके तो वह अज्ञानी है, परन्तु जिस किसी नें भी प्रेम के ढाई अक्षर को सही रूप से समझ लिया हो वही सच्चा और सही विद्वान है।
2. चाह मिटी, चिंता मिटी, मनवा बेपरवाह,
जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह।
अर्थ : इस दोहे में कबीर जी कहते हैं इस जीवन में जिस किसी भी व्यक्ति के मन में लोभ नहीं, मोह माया नहीं, जिसको कुछ भी खोने का डर नहीं, जिसका मन जीवन के भोग विलास से बेपरवाह हो चूका है वही सही मायने में इस विश्व का राजा महाराजा है ।
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क्या नैतिक क्या अनैतिक का जो करे विचार, जागरूकता और सत्य की शक्ति रहे उसमें अपार ।
जीवन की हर घड़ी में, आवश्यक हैं यह बात।
नैतिक मूल्यों का अनुसरण करें, उच्च विचारधारा कायम रखें।
स्वार्थ से होता सिर्फ आपका हित, नैतिक विचार करें सभी का हित।
सही और गलत का औचित्य समझें, मानवता को जीवित रखें।
नैतिक मूल्य हैं मनुष्य के आधारस्तम्भ, सही पथ पर जीवन यात्रा करें आरम्भ।
मनुष्य जितना सोचता है उससे कहीं ज्यादा नैतिक है, और वो इतना अनैतिक है कि वो उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता।
जो कुछ बीत गया सो बीता ,आगे की परवाह करो I
नयी उमंगें नये जोश से नयी विजय की चाह करो II
कितनी भी कठिनाई आये मुंह से न कभी आह करो I
जहाँ राह हो नहीं वहां भी ,अपनी धुन से राह करो II
तुम भावी नेता भारत के नन्हे -नन्हे बाल सखा I
जय हो ,साहस करो, करो कुछ काम ,नाम हो बालसखा II