India Languages, asked by Bhupeshyadav9510, 9 months ago

समर्थ गुरु रामदासः स्वशिष्यैः परिवृतः कस्मात् उपविष्टः आसीत्? (समर्थ गुरु रामदास अपने शिष्यों से घिरे हुए किसलिए बैठे थे?).

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Answered by InstaPrince
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Answered by souravbiswas0426
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मार्केट प्लेस

संतों की संगत से ही होता है परमात्मा से साक्षात्कार : शम्मी चावला

जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब

प्रभु मिलन का संतों की संगत सबसे अच्छा व उत्तम रास्ता होता है। इस रास्ते पर चलकर ही परमात्मा की खुशी प्राप्त की जा सकती है व उनसे मिला जा सकता है। यह विचार स्थानीय गांधी नगर स्थित संत मंदिर (डेरा संत बाबा बग्गू भगत, सांझा दरबार) में वीरवार को साप्ताहिक सत्संग के दौरान संगत को प्रवचन करते हुए गद्दी नशीन भगत शम्मी चावला जी महाराज ने व्यक्त किए। महाराज जी ने आगे कहा कि संत सदा ही ईमानदारी व सच पर चलने की शिक्षा देते हैं व वैर विरोध से दूर रहने की प्रेरणा देते हैं। जो मनुष्य संतों की शिक्षा व उपदेशों पर सच्चे मन व शुद्ध भवना के साथ अमल करता है, उसे जीवन में कभी भी किसी तरह की कमी नहीं रहती। खुशियां सदा उसके दर पर आती हैं। परिवार को खुशहाली व तरक्की मिलती है। वहीं, डेरा सेवा संभाल सोसायटी (रजि.) के चीफ आर्गेनाइजर जगदीश राय ढोसीवाल ने बताया कि सत्संग के दौरान महाराज जी के पुत्र गगनदीप चावला के अतिरिक्त अवतार चुघ, कुल¨वदर जग्गा, मोहन लाल खूगर, राजू मिड्डा, दीपक खुंगर, लाडी कटारिया, श¨लदर मल्होत्रा, सु¨रदर गोयल जलालाबाद, ¨रकू ढींगरा, प्रदीप कालड़ा, लख¨वदर ¨सह, गुरमीत ¨सह बराड़, प्रिंसिपल नीलम गुगलानी, कविता कमरा, नैना गाबा, कविता गूंबर, शिल्पा गिरधर, आदर्श खुराना, आशा बाघला, डोली खुराना व ऊषा दाबडा सहित बडी संख्या में डेरा श्रद्धालु उपस्थित थे।

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