samas k sare bhedo ko vistar se btao plz
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समास के छः भेद हैं:
अव्ययीभाव
तत्पुरुष
द्विगु
द्वन्द्व
बहुव्रीहि
कर्मधारय
अव्ययीभाव संपादित करें
जिस समास का पूर्व पद प्रधान हो, और वह अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे - यथामति (मति के अनुसार), आमरण (मृत्यु तक) इनमें यथा और आ अव्यय हैं। जहां एक ही शब्द की बार बार आवृत्ति हो, अव्ययीभाव समास होता है जैसे - दिनोंदिन, रातोंरात, घर घर, हाथों-हाथ आदि
कुछ अन्य उदाहरण -
आजीवन - जीवन-भर
यथासामर्थ्य - सामर्थ्य के अनुसार
यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार
यथाविधि- विधि के अनुसार
यथाक्रम - क्रम के अनुसार
भरपेट- पेट भरकर
हररोज़ - रोज़-रोज़
हाथोंहाथ - हाथ ही हाथ में
रातोंरात - रात ही रात में
प्रतिदिन - प्रत्येक दिन
बेशक - शक के बिना
निडर - डर के बिना
निस्संदेह - संदेह के बिना
प्रतिवर्ष - हर वर्ष
आमरण - मरण तक
खूबसूरत - अच्छी सूरत वाली
अव्ययी समास की पहचान - इसमें समस्त पद अव्यय बन जाता है अर्थात समास लगाने के बाद उसका रूप कभी नहीं बदलता है। इसके साथ विभक्ति चिह्न भी नहीं लगता। जैसे - ऊपर के समस्त शब्द है।परक अव्ययीभाव समास जिस समास का पहला पद(पूर्व पद) प्रधान हो और वह अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। उदाहरण: निडर = डर के बिना (इसमें नि अव्यय है) अव्ययीभाव समास में तीन प्रकार के पद आते हैं:- 1. उपसर्गों से बने पद (जिनमे उपसर्ग विशेषण न हो):- आ, निर्, प्रति, निस्, भर, खुश, बे, ला, यथा उपसर्गों से बने पद अव्ययीभाव समास होते है। उदाहरण: आजीवन (आ+जीवन) = जीवन पर्यन्त निर्दोष (निर्+दोष) = दोष रहित प्रतिदिन (प्रति+दिन) = प्रत्येक दिन बेघर (बे+घर) = बिना घर के लावारिस (ला+वारिस) = बिना वारिस के यथाशक्ति (यथा+शक्ति) = शक्ति के अनुसार 2. यदि एक ही शब्द दो बार आये :- उदाहरण: घर-घर = घर के बाद घर नगर-नगर = नगर के बाद नगर रोज-रोज = हर रोज 3. एक जैसे दो शब्दों के मध्य बिना संधि नियम के कोई मात्रा या व्यंजन आये:- उदाहरण: हाथोंहाथ = हाथ ही हाथ में दिनोदिन = दिन ही दिन में बागोबाग = बाग ही बाग में
तत्पुरुष समास संपादित करें
'तत्पुरुष समास - जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे - तुलसीदासकृत = तुलसीदास द्वारा कृत (रचित)
ज्ञातव्य- विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास होता है।
विभक्तियों के नाम के अनुसार तत्पुरुष समास के छह भेद हैं-
कर्म तत्पुरुष (द्वितीया कारक चिन्ह) (गिरहकट - गिरह को काटने वाला)
करण तत्पुरुष (मनचाहा - मन से चाहा)
संप्रदान तत्पुरुष (रसोईघर - रसोई के लिए घर)
अपादान तत्पुरुष (देशनिकाला - देश से निकाला)
संबंध तत्पुरुष (गंगाजल - गंगा का जल)
अधिकरण तत्पुरुष (नगरवास - नगर में वास)
तत्पुरुष समास के प्रकार संपादित करें
नञ तत्पुरुष समास
जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे -
समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रह
असभ्य न सभ्य अनंत
. तत्पुरुष समास जिस समास में बाद का अथवा उत्तरपद प्रधान होता है तथा दोनों पदों के बीच का कारक-चिह्न लुप्त हो जाता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। उदाहरण: शराहत = शर से आहत राजकुमार = राजा का कुमार कारकों के आधार पर तत्पुरुष के छः भेद होते हैं:- 1. कर्म तत्पुरुष (कारक चिन्ह: "को" ) उदाहरण: सिद्धिप्राप्त = सिद्धि को प्राप्त नगरगत = नगर को गत 2. कर्ण तत्पुरुष (कारक चिन्ह: "से, के द्वारा") उदाहरण: हस्तलिखित = हाथों से लिखित तुलसीरचित = तुलसी के द्वारा रचित 3. सम्प्रदान तत्पुरुष (कारक चिन्ह "के लिए") उदाहरण: रसोईघर = रसाई के लिए घर जबखर्च = जेब के लिए खर्च 4. अपादान तत्पुरुष (कारक चिन्ह "से" [अलग होने का भाव]) उदाहरण: पथभ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट देशनिकाला = देश से निकाला 5. संबंध तत्पुरुष (कारक चिन्ह "का, के, की") उदाहरण: राजपुत्र = राजा का पुत्र घुड़दौड़ = घोड़ों की दौड़ 6. अधिकरण तत्पुरुष (कारक चिन्ह "में, पर" उदाहरण: आपबीती = आप पर बीती विश्व प्रसिद्ध = विश्व में प्रसिद्ध
न अंत
अनादि न आदि असंभव न संभव
कर्मधारय समास संपादित करें
जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद व उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास कहलाता है। जैसे -भवसागर(संसार रूपी सागर);घनश्याम(बादल जैसे काला) संपादित करें
समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रह
चंद्रमुख चंद्र जैसा मुख कमलनयन कमल के समान नयन
देहलता देह रूपी लता दहीबड़ा दही में डूबा बड़ा
नीलकमल नीला कमल पीतांबर पीला अंबर (वस्त्र)
सज्जन सत् (अच्छा) जन नरसिंह नरों में सिंह के समान
द्विगु समास संपादित करें
जिस समास का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं। इससे समूह अथवा समाहार का बोध होता है। जैसे -
समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रह
नवग्रह नौ ग्रहों का समूह दोपहर दो पहरों का समाहार
त्रिलोक तीन लोकों का समाहार चौमासा चार मासों का समूह
नवरात्र नौ रात्रियों का समूह शताब्दी सौ अब्दो (वर्षों) का समूह
अठन्नी आठ आनों का समूह त्रयम्बकेश्वर तीन लोकों का ईश्वर
द्वन्द्व समास संपादित करें
जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर ‘और’, अथवा, ‘या’, एवं योजक चिन्ह लगते हैं , वह द्वंद्व समास कहलाता है। जैसे- माता-पिता ,भाई-बहन, राजा-रानी, दु:ख-सुख, दिन-रात, राजा-प्रजा द्वन्द्व समास जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर "और" अथवा "या" का प्रयोग होता है तो उसे द्वन्द्व समास कहते है। "और" का प्रयोग समान प्रकृति के पदों के मध्य तथा "या" का प्रयोग असमान (विपरीत) प्रकृति के पदों के मध्य किया जाता है। उदाहरण: माता-पिता = माता और पिता (समान प्रकृति) गाय-भैंस = गाय और भैंस (समान प्रकृति) धर्माधर्म = धर्म या अधर्म (विपरीत प्रकृति) सुरासुर = सुर या असुर (विपरीत प्रकृति)
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