Math, asked by samiralam845426786, 10 months ago

samas kitne Prakar ke Hote Hain ​

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Answered by pinky162
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Step-by-step explanation:

समास का तात्पर्य है ‘संक्षिप्तीकरण’। दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं। जैसे - ‘रसोई के लिए घर’ इसे हम ‘रसोईघर’ भी कह सकते हैं। संस्कृत एवं अन्य भारतीय भाषाओं में समास का बहुतायत में प्रयोग होता है। जर्मन भाषा तथा कई भाषाओं में भी समास का बहुत अधिक प्रयोग होता है।

परिभाषा

समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न (परसर्ग) लुप्त हो जाते हैं। जैसे-राजपुत्र।

समास-विग्रह

सामासिक शब्दों के बीच के संबंधों को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है।विग्रह के पश्चात सामासिक शब्दों का लोप हो जाताहै जैसे-राज+पुत्र-राजा का पुत्र।

समास में दो पद (शब्द) होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं। जैसे-गंगाजल। इसमें गंगा पूर्वपद और जल उत्तरपद है।

संस्कृत में समासों का बहुत प्रयोग होता है। अन्य भारतीय भाषाओं में भी समास उपयोग होता है। समास के बारे में संस्कृत में एक सूक्ति प्रसिद्ध है:

वन्द्वो द्विगुरपि चाहं मद्गेहे नित्यमव्ययीभावः।

तत् पुरुष कर्म धारय येनाहं स्यां बहुव्रीहिः॥

समास के भेद

समास के छः भेद हैं:

1.अव्ययीभाव

2.तत्पुरुष

3.द्विगु

4.द्वन्द्व

5.बहुव्रीहि

6.कर्मधारय

1.अव्ययीभाव

जिस समास का उत्तर पद प्रधान हो, और वह अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे - यथामति (मति के अनुसार), आमरण (मृत्यु तक) इनमें यथा और आ अव्यय हैं। जहां एक ही शब्द की बार बार आवृत्ति हो, अव्ययीभाव समास होता है जैसे - दिनोंदिन, रातोंरात, घर घर, हाथों-हाथ आदि

कुछ अन्य उदाहरण -

आजीवन - जीवन-भर

यथासामर्थ्य - सामर्थ्य के अनुसार

यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार

यथाविधि- विधि के अनुसार

यथाक्रम - क्रम के अनुसार

भरपेट- पेट भरकर

हररोज़ - रोज़-रोज़

हाथोंहाथ - हाथ ही हाथ में

रातोंरात - रात ही रात में

प्रतिदिन - प्रत्येक दिन

बेशक - शक के बिना

निडर - डर के बिना

निस्संदेह - संदेह के बिना

प्रतिवर्ष - हर वर्ष

आमरण - मरण तक

खूबसूरत - अच्छी सूरत वाली

अव्ययी समास की पहचान - इसमें समस्त पद अव्यय बन जाता है अर्थात समास लगाने के बाद उसका रूप कभी नहीं बदलता है। इसके साथ विभक्ति चिह्न भी नहीं लगता। जैसे - ऊपर के समस्त शब्द है।परक

2.तत्पुरुष समास

'तत्पुरुष समास - जिस समास का पूर्वपद प्रधान हो और उत्तरपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे - तुलसीदासकृत = तुलसीदास द्वारा कृत (रचित)

ज्ञातव्य- विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास होता है।

विभक्तियों के नाम के अनुसार तत्पुरुष समास के छह भेद हैं-

कर्म तत्पुरुष (द्वितीया कारक चिन्ह) (गिरहकट - गिरह को काटने वाला)

करण तत्पुरुष (मनचाहा - मन से चाहा)

संप्रदान तत्पुरुष (रसोईघर - रसोई के लिए घर)

अपादान तत्पुरुष (देशनिकाला - देश से निकाला)

संबंध तत्पुरुष (गंगाजल - गंगा का जल)

अधिकरण तत्पुरुष (नगरवास - नगर में वास)

तत्पुरुष समास के प्रकार

नञ तत्पुरुष समास

जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे -

समस्त पद

समास-विग्रह

समस्त पद

समास-विग्रह

असभ्य - न सभ्य

अनंत - न अंत

अनादि - न आदि

असंभव - न संभव

3.कर्मधारय समास

जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद व उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास कहलाता है। जैसे -भवसागर(संसार रूपी सागर);घनश्याम(बादल जैसे काला)

समास-विग्रह

चंद्रमुख- चंद्र जैसा मुख

कमलनयन- कमल के समान नयन

देहलता- देह रूपी लता

दहीबड़ा - दही में डूबा बड़ा

नीलकमल - नीला कमल

पीतांबर - पीला अंबर (वस्त्र)

सज्जन- सत् (अच्छा) जन

नरसिंह- नरों में सिंह के समान

4.द्विगु समास

जिस समास का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं। इससे समूह अथवा समाहार का बोध होता है। जैसे -

नवग्रह- नौ ग्रहों का समूह

दोपहर- दो पहरों का समाहार

त्रिलोक-तीन लोकों का समाहार

चौमासा- चार मासों का समूह

नवरात्र- नौ रात्रियों का समूह

शताब्दी- सौ अब्दो (वर्षों) का समूह

अठन्नी- आठ आनों का समूह

त्रयम्बकेश्वर- तीन लोकों का ईश्वर

5.द्वन्द्व समास

जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर ‘और’, अथवा, ‘या’, एवं योजक चिन्ह लगते हैं , वह द्वंद्व समास कहलाता है। जैसे- माता-पिता ,भाई-बहन, राजा-रानी,दु:ख-सुख,

6.बहुव्रीहि समास

जिस समास के दोनों पद अप्रधान हों और समस्तपद के अर्थ के अतिरिक्त कोई सांकेतिक अर्थ प्रधान हो उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं। जैसे -

समस्त पद

समास-विग्रह

दशानन- दश है आनन (मुख) जिसके अर्थात् रावण

नीलकंठ- नीला है कंठ जिसका अर्थात् शिव

सुलोचना- सुंदर है लोचन जिसके अर्थात् मेघनाद की पत्नी

पीतांबर- पीला है अम्बर (वस्त्र) जिसका अर्थात् श्रीकृष्ण

लंबोदर- लंबा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् गणेशजी...

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Answered by ekanshigoyalbhiwani
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Answer:

समास 6 प्रकार के होते है लेकिन मुझे 5 ही पता है।

  1. तत्पुरुष
  2. कर्मधारय
  3. दृविन्द्व
  4. अव्ययीभाव
  5. ध्रिगु

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