समस्याएँ वस्तुतः जीवन का पर्याय है। यदि समस्याएँ न हो तो आदमी प्रायः अपने को निष्किय समझने लगेगा। ये
समस्याएँ वस्तुतः जीवन की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती हैं। समस्या को सुलझााते समय, उसका समाधान करते समय
व्यक्ति का तत्व उभरकर आता है। धर्म, दर्शन, ज्ञान मनोविज्ञान इन्ही प्रयत्नों की दे हैं। पुराणों में अनेक कथाएँ यह
शिक्षा देती हैं कि मनुष्य जीवन की हर स्थिति में जीना सीखे व समस्या उत्पन्न होने पर उसके समाधान के उपाय
सोचे। जो व्यक्ति जितना उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य करेगा, उतना ही उसके समक्ष समस्याएँ आएँगी और उनके परिपेक्ष्य में
ही उसकी महानता का निर्धारण किया जाएगा। दो महत्वपूर्ण तथ्य स्मरणीय हैं- प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लेकर
आती है। प्रत्येक संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। समस्त ग्रंथों और महापुरुषों के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि
संघर्ष से डरना अथवा उससे विमुख होना लौकिक व पारलौकिक सभी दृष्टियों से अहितकर है, मानव-धर्म के प्रतिकूल
हे और अपने विकास को अनावश्यक रूप से बाधित करना है।
1. is gadhyansh ka upyukt shirshak kya hai.
2. jivan me samasyaein hone se vyakti ---
3. purano se hume kya shiksha milti hai.
4. inme se kon sa tathya sahi nhi hai.
5. nishikray shabd me prayukt upsharg kya hai.
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can you rewrite in English please
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