समशाग
1. जब बाढ़ आती है तो जल की कोई सीमा नहीं होती, वह विध्वंस
करता है। लेकिन जब उसी जल को कोई बांध नियंत्रित करता है, तो
वह जनकल्याण के लिए जलविद्युत उत्पादन गृह में या सिंचाई हेतु
प्रयोग किया जा सकता है। यदि हम इस जल की तुलना मन से करें, तो
कौन सा विकल्प सही है? (गीता-6.6)
क. अनियंत्रित मन बाढ़ के जल के समान है, गनियंत्रित मन एक बांध के समान है,
वह विध्वंस का कारण बनता है तथा जिसका उपयोग जनकल्याण हेतु किया
स्वयं व दूसरों को परेशान करता हैं।
जा सकता है।
ख. नियंत्रित मन हमारा मित्र है तथा घ. उपर्युक्त सभी विकल्पा
अनियंत्रित मन हमारा शत्रु है।
Answers
niyantrit man Hamara Shatru hai
जल संबंधी उपरोक्त उदाहरण को देखकर संबंधित प्रश्न पर अगर हम गीता के श्लोकानुसार विवेचन करें तो विकल्प (ख) सबसे उपयुक्त है,
(ख) नियंत्रित मन हमारा मित्र है, और अनियंत्रित मन हमारा शत्रु है।
गीता के छठवें अध्याय छठवें श्लोंक में भी कहा गया है कि...
बन्धुरात्मात्मनस्तस्य
येनात्मैवात्मना जितः।
अनात्मनस्तु शत्रुत्वे
वर्तेतात्मैव शत्रुवत्॥६-६॥
इसक अर्थ इस प्रकार है कि जो जीव अपने मन को जीत लेता है, वह स्वयं का मित्र ही होता है, क्योंकि अपने मन को जीतकर वो स्वयं का ही हित करता है। लेकिन जो जीव अपने मन को नही जीत पाता स्वयं के लिये किसी शत्रु से कम नही है। अपने मन के अधीन होकर कार्य करने से जरूरी उसका भला ही हो। इस तरह मित्र और शत्रु
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