Samast pad banakar samaas ka naam likhiye: chaar patho ka samuh Ilaaj ke bina Vigrah karke samaas ka naam likhiye: Shikshakdatt Gyaanaarjit
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समास = सम् (पास) + आस (रखना,बैठाना)
जब दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से एक नया संक्षिप्त शब्द बनाया जाता है तो उस प्रक्रिया को ‘समास’ कहते है। समासयुक्त पद को ‘समस्त पद’ कहते है। उसमे पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते है।
उदाहरण : राष्ट्रपिता (समस्तपद) = राष्ट्र (पूर्वपद) + (का) पिता (उत्तरपद)
समास के 4 प्रमुख भेद है –
बहुव्रीहि समास
द्वंद्व समास
अव्ययीभाव समास
तत्पुरुष समास
द्विगु समास
कर्मधारय समास
1) बहुव्रीहि समास : समस्त पद के दोनों पद (पूर्व पद और उत्तरपद) गौण होते है , ये दोनों मिलकर किसी तीसरे प्रधान (main) पद को संकेत करते है।
उदाहरण : दशानन – दश(ten) आनन(face) है जिसके , यानि की रावण । यहाँ “दश” और “आनन” दोनों मिलाकर तीसरे पद “रावण” की और संकेत करता है।
2) द्वंद्व समास : समस्तपद के दोनों पद (पूर्व पद और उत्तरपद) प्रधान होते है। विग्रह करने पर बीच में “और “, “एवं “,”तथा “,”या ” आदि जैसे शब्द लगाने पड़ते है। उदाहरण : दाल-भात – दाल और भात ।
3) अव्ययीभाव समास : समस्त पद में पहला पद (पूर्व पद ) अव्यय (जैसे की -यथा ,आ,बे,हर ,प्रति आदि ) होता है। (अविकारी शब्द जिनका स्वरूप किसी भी लिंग,वचन काल में प्रयोग करने पर नहीं बदलता है उसे अव्यय कहते है। ) उदाहरण : आजन्म – जन्म लेकर। यहाँ “आ” अव्यय है। जब एक ही शब्द का पुनरावर्तन (repetition) होता है , उसे भी अव्ययीभाव समास कहते है। उदाहरण : रातोंरात – रात ही रात में। यहाँ “रात ” का पुनरावर्तन हो रहा है।
4) तत्पुरुष समास : समस्त में कारक का लोप होता है। उस कारक के अनुसार उसके 8 भेद है –
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