samay aur sadhan ka sadupog
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समय ईश्वर का एक ऐसा विधान है, जो सबसे अमूल्य है। यह एक ऐसी चीज है जो कभी स्थिर नहीं होता, निरंतर गतिशील रहता है। उसकी यह गतिशीलता ही जीवन है। इसका सदुपयोग यानी जीवन का सदुपयोग और इसका विनाश और दुरुपयोग यानी जीवन का विनाश और दुरुपयोग है । समय का जीवन में बहुत अधिक महत्व है । संसार की जितनी भी वस्तुएँ है उन्हें प्राप्त करना कठिन नहीं । यदि धन नष्ट हो जाए तो उसे मेहनत करके फिर से प्राप्त कर सकते हैं । यदि स्वास्थ्य बिगड़ जाए तो उसे भी सुधार जा सकता है, परन्तु यदि समय एक बार नष्ट हो जाए, उसे प्राप्त करना असम्भव है । इसलिए समय जीवन का सबसे अमूल्य धन और महत्वपूर्ण साधन है। समय की हानि सबसे बड़ी हानि है । संस्कृत के एक विद्वान का कथन है – का हानि ? समय क्षति । यानि की समय की हानि ही वास्तविक हानि है । समय की हानि अथवा दुरुपयोग मानव के लिए अत्यंत घातक है । इससे उन्नति में बाधा पड़ती है और अन्त में पश्चाताप के सिवाय कुछ हाथ में नहीं आता । घड़ी की सुइयां भी निरंतर सरकती हुई हमें यही चेतावनी देती है कि समय निकला जा रहा है, कुछ कर लो। यदि एक बार समय निकल गया तो वह फिर कभी लौटकर नहीं आएगा।