Hindi, asked by gagansisodia2, 8 months ago

समय-1:30मि०
कक्षा-12
बिषय-हिन्दी
नोट- सभी प्रश्न करने अनिवार्य है।
प्र०1-निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
(1) भक्तिन का वास्तविक नाम क्या था ?
(2) भक्तिन ने लेखिका से क्या आग्रह किया ?
(3) बाजार की सार्थकता किसमें है.?
(4) गाँव से पानी माँगने वालो के क्या नाम थे?
(5) लेखक बचपन से किस संस्कार से प्रभावित था?​

Answers

Answered by jadhavsujata34
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Answer:

hello

Explanation:

1. उत्तर:- भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था, हिन्दुओं के अनुसार लक्ष्मी धन की देवी है। चूँकि भक्तिन गरीब थी। उसके वास्तविक नाम के अर्थ और उसके जीवन के यथार्थ में विरोधाभास होने के कारण निर्धन भक्तिन सबको अपना असली नाम लक्ष्मी बताकर उपहास का पात्र नहीं बनना चाहती थी इसलिए वह अपना असली नाम छुपाती थी।

उसे लक्ष्मी नाम उसके माता-पिता ने दिया होगा क्योंकि उन्हें लगा होगा कि बेटी तो लक्ष्मी का अवतार मानी जाती है इसलिए उसके आने से वे तो खुशहाल होंगें ही साथ ही वह जिसके घर जाएगी वे भी धन्य-धान्य से भरपूर हो जाएँगे। इस के बाद उसे और एक नाम मिला भक्तिन जो कि महादेवी वर्मा ने घुटा हुआ सिर, गले में कंठी माला और भक्तों की तरह सादगीपूर्ण वेशभूषा देखकर रख दिया।

2.उत्तर:- हाँ, हम इस बात से पूरी तरह सहमत हैं क्योंकि भक्तिन के पुत्र न होने पर उपेक्षा अपने ही घर की सास और जिठानियों अर्थात् नारी जाति से मिली। सास और जिठानियाँ आराम फरमाती थी क्योंकि उन्होंने लड़कों जन्म दिया था और भक्तिन तथा उसकी नन्हीं बेटियों को घर और खेतों का सारा काम करना पड़ता था। जबकि उसके पति का भक्तिन के प्रति स्नेह कभी भी कम न हुआ।

साथ ही मेरे अनुसार किसी भी घर में बिना स्त्री की सहमति के भ्रूणहत्या हत्या, दहेज़ की माँग, परिवार में बेटा-बेटी में अंतर, बेटी-बहूओं पर अत्याचार आदि नहीं हो सकता।

3.उत्तर:- भक्तिन की बेटी के सन्दर्भ में पंचायत द्वारा किया गया न्याय, तर्कहीन और अंधे कानून पर आधारित है। भक्तिन के जेठ ने संपत्ति के लालच में षडयंत्र कर भोली बच्ची को धोखे से जाल में फँसाया। पंचायत ने निर्दोष लड़की की कोई बात नहीं सुनी और एक तरफ़ा फैसला देकर उसका विवाह जबरदस्ती जेठ के निकम्मे तीतरबाज साले से कर दिया।

विवाह के इस संदर्भ में स्त्री के अधिकारों को कुचलने की परंपरा हमारे देश में सदियों से चली आ रही है। आज भी हमारे समाज में स्त्रियों के विवाह का निर्णय उसके परिवार वालों द्वारा लिया जाता है। यदि कोई लड़की विरोध करने का साहस करती भी है तो उसके स्वर को दबा दिया जाता है।

4.उत्तर:- गुणों के साथ-साथ भक्तिन के व्यक्तित्व में अनेक दुर्गुण भी निहित थे –

1. वह घर में इधर-उधर पड़े रुपये-पैसे को भंडार घर की मटकी में छुपा देती है और अपने इस कार्य को चोरी नहीं मानती थी।

2. महादेवी के क्रोध से बचने के लिए भक्तिन बात को इधर-उधर करके बताने को झूठ नही मानती। अपनी बात को सही सिद्ध करने के लिए वह तर्क-वितर्क भी करती है।

3. वह दूसरों को अपनी इच्छानुसार बदल देना चाहती है पर स्वयं बिलकुल नही बदलती।

4. वह शास्त्रीय बातों की व्याख्या अपनी इच्छानुसार करती थी।

5.उत्तर:- लेखिका को भक्तिन का सिर मुंडवाना पसंद नहीं था। लेखिका उसे ऐसा करने के लिए मना करती थी। परन्तु भक्तिन केश मुँडाने से मना किए जाने पर शास्त्रों का हवाला देते हुए कहती है ‘तीरथ गए मुँडाए सिद्ध’। यह बात किस शास्त्र में लिखी है इसका भक्तिन को कोई ज्ञान नहीं था जबकि लेखिका को पता था कि यह उक्ति शास्त्र द्वारा न होकर किसी व्यक्ति द्वारा कही गई है परन्तु तर्क में पटु होने के कारण लेखिका भक्तिन को सिर मुंडवाने से रोक नहीं पाई।

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