समय के महत्त्व पर दोहे
Angel291:
Kabir Ke dohe
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उठ जाग मुसाफिर भोर भई अब रैन कहां जो रोवत है।
जो सोवत है वह खोवत है जो जागत है वह पावत है
उठ नींद से अखिया खोल ज़रा अब रैन कहां जो सोवत है। --------
सूरज के निकलने पर भी जो लोग सोते हैं। वह सब खोते हैं।
जो सुबह उठकर अपने लक्ष्य को तय करके भागते हैं उनको सब मिलता है जो वह चाहते हैं।
जो सोवत है वह खोवत है जो जागत है वह पावत है
उठ नींद से अखिया खोल ज़रा अब रैन कहां जो सोवत है। --------
सूरज के निकलने पर भी जो लोग सोते हैं। वह सब खोते हैं।
जो सुबह उठकर अपने लक्ष्य को तय करके भागते हैं उनको सब मिलता है जो वह चाहते हैं।
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Explanation:
kal kal kare so aaj kar aaj kare so ab
pal mai parle hoyegi bahuri karego kab
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