समय का महत्व बताते हुए अपने मित्र परिश्रम पूर्वक पढ़ने की सलाह देते हुए पत्र
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135 विकासनगर,
नई दिल्ली 75,
दिनांक -
प्रिय मीत्र रतन
सप्रेम नमस्कार,
मैं यहाँ कुशल पूर्वक हूँ और भगवान से तुम्हारी कुशलता की कामना करता हूँ | कल ही मुझे तुम्हारे बड़े भाई का पत्र मिला, जिसे पढ कर बहुत दुख हुआ कि तुम गलत संगती में पड़ कर अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हो , तुम्हारे लिए यह समय अमूल्य है , इसको अगर तुम गलत तरीके से बर्बाद कर दोगे तो जिंदगी में कभी भी सफलता नहीं प्राप्त कर सकते| तुम्हारे माता प्ता को तुमसे बड़ी आशाएँ हैं , उन्हें पूरा करना तुम्हारा कर्तव्य है , अतः आशा है कि तुम मेरी बातें अच्छी तरह समझोगे और अच्छे लोगों से दोस्ती करोगे|
अपने माता पिता को मेरा चरण स्पर्श कहना|
तुम्हारा मित्र
आदित्य
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