समय के महत्व पर पिता और पुत्र पर संवाद
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पिताजी-- बेटा तुम इतनी देर तक सोते रहोगे तो जीवन पथ पर आगे कैसे बढ़ोगे?
बेटा-- क्या पिताजी...आप भी न एक दिन छुट्टी के दिन में आराम करता हूं तब भी आप मुझपर चिल्लाते हैं।
पिताजी-- नहीं, बेटा मैं तुम पर चिल्ला नहीं रहा। तुम्हें बस सचेत कर रहा हूं कि तुम समय के साथ चलो।
बेटा-- पिताजी समय रा महत्व है?
पिताजी-- हां, बिल्कुल है।
बेटा-- कैसे?
पिताजी-- बेटा ।यह समय ही तो है जो सबकी परिछा ले ता है। सबको बलवान बनाता है। समय न हो तो क्या दिन और क्या रात।यह हमें गुलाम बनाता है और मेहनती भी।इसलिए समय का महत्व तो है।
बेटा-- समझ गया पिताजी मैं आपके बातों को अर्थात समय के महत्व को।
बेटा-- क्या पिताजी...आप भी न एक दिन छुट्टी के दिन में आराम करता हूं तब भी आप मुझपर चिल्लाते हैं।
पिताजी-- नहीं, बेटा मैं तुम पर चिल्ला नहीं रहा। तुम्हें बस सचेत कर रहा हूं कि तुम समय के साथ चलो।
बेटा-- पिताजी समय रा महत्व है?
पिताजी-- हां, बिल्कुल है।
बेटा-- कैसे?
पिताजी-- बेटा ।यह समय ही तो है जो सबकी परिछा ले ता है। सबको बलवान बनाता है। समय न हो तो क्या दिन और क्या रात।यह हमें गुलाम बनाता है और मेहनती भी।इसलिए समय का महत्व तो है।
बेटा-- समझ गया पिताजी मैं आपके बातों को अर्थात समय के महत्व को।
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it is in the pic..plz mark me as brainlist
sorry bro or sis that I have written it between grandfather and grandson but u can convert it into father and son...
I hope that it will still help...
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