समय कहानी का सारांश
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“समय” कहानी का सारांश
“समय” कहानी हिंदी के प्रसिद्ध कहानीकार ‘यशपाल’ द्वारा लिखित एक कहानी है, जिसमें लेखक ने यथार्थवादी तरीके से ये सिद्ध करने की कोशिश की है कि समय के साथ सब कुछ बदल जाता है।
“समय” कहानी की कथावस्तु एक ऐसी मध्यमवर्गीय परिवार की कथावस्तु है, जिसका मुखिया एक उच्च सरकारी अधिकारी है। सब उन्हे पापा कहते हैं। पााप अपनी रिटायरमेंट के बाद कटने वाले समय की चिंता सताने लगी है। पहले नौकरी के समय में छुट्टियों के दिन के बड़ी बेसब्री से इंतजार करते थे। लेकिन अब जबकि उन्हें हमेशा के लिए छुट्टियां मिलने वाली है तो भी निरुत्साहित से हैं। उन्हें समय काटने की चिंता है।
रिटायरमेंट के बाद लखनऊ में वह अपना घर बनवा लेते हैं। शाम के समय रोज टहलने का नियम बनाते हैं। वह स्वयं को बुजुर्ग नहीं करना चाहते इसके लिए अपनी पत्नी को साथ में लेकर बाजार के लिए निकलते हैं। कभी-कभी बच्चों को भी साथ में ले लेते हैं। लेकिन समय के साथ-साथ उनके बच्चे बड़े हो गए हैं और पत्नी उम्र बढ़ने के साथ कमजोर हो गईं हैं। पत्नी ने अब उनके साथ जाना छोड़ दिया है और युवा हो चुके बच्चे उन जैसे वृद्ध व्यक्ति के साथ जाने में बोरियत महसूस करते हैं। एक दिन उनके मंटू ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि उन्हें बुड्ढों के साथ जाने में बोरियत महसूस होती है। पापा ने ही ये सब सुन लिया और वे अपनी छड़ी लेकर अकेले ही नहीं टहलने निकल लिए। शायद उन्होंने अपने अंतर्मन से इस सच्चाई को स्वीकार कर लिया कि समय के साथ-साथ सब कुछ परिवर्तित हो जाता है।
लेखक ने इस कहानी के माध्यम से एक यथार्थवादी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है और एक मध्यमवर्गीय व शिक्षित परिवार की वास्तविक तस्वीर प्रस्तुत की है।