samkalen ka upsarg aur moolshabd
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व्युत्पत्ति के आधार पर मुख्य रूप से शब्द के दो मूल रूप होते हैं, रूढ़ और यौगिक। रूढ़ शब्द किसी के मेल से नहीं बनते, ये स्वतंत्र होते हैं। लेकिन यौगिक शब्दों की रचना रूढ़ शब्द के आदि व अंत में जुड़ने वाले शब्दांशों से होती है। ये शब्दांश रूढ़ शब्द से मिलकर इसके अर्थ में परिवर्तन ला देते हैं।
जैसे: श्रम से बने ये शब्द:
परि + श्रम = परिश्रम
परि + श्रमी = परिश्रमी
श्रम + इक = श्रमिक
श्रम + जीवी = श्रमजीवी
श्रम + शील = श्रमशील
इस प्रकार नए शब्दों की रचना होती है। यही ‘शब्द-रचना’ कहलाती है। शब्द-रचना के मुख्य तीन प्रकार हैं :
उपसर्ग
प्रत्यय
समास।
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