Sample Essay on “Student and Fashion” in Hindi
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विद्यार्थी शब्द का उच्चारण करते हुए हमें ऐसे व्यक्ति का स्मरण हो आता है जिसका उद्देश्य शिक्षा प्राप्त करना होता है। वह विद्या-अनुरागी, परिश्रमी, सुशील, व्यक्ति होता है। वह अपनी पाठशाला को उसी प्रकार पूजता है जैसे भगवान को पूजा जाता है। समय में उठकर नियमित पाठशाला जाता है। अध्यापकों द्वारा कही गई हर बात व सीख को ध्यानपूर्वक सुनता व समझता हो। मन लगाकर पढ़ता हो। पाठशाला से घर पहुँचकर पाठों को पुन: पढ़ता हो। अपने समय को बर्बाद न करके विद्या अध्ययन में समय व्यतीत करता हो। उसके लिए विद्या ग्रहण करना मजबूरी न हो, वह उसे रुचि लेकर पूरी तन्मयता से पठन व पाठन करता हो। परन्तु फैशन इस परिभाषा को ही बदलकर रख देता है। वह फैशन को इतना महत्व देता है कि बाकी अन्य कार्यों के लिए उसे समय ही नहीं मिलता है। विद्यार्थी को चाहिए कि फैशन के स्थान पर अपनी शिक्षा को महत्व दे। फैशन करने के लिए तो पूरी उम्र पड़ी होती है। परन्तु शिक्षा के लिए सही उम्र विद्यार्थीकाल है।
Answer:
विद्यार्थी पर फैशन का प्रभाव
Vidyarthi par Fashion ka Prabhav
फैशन का सामान्य अर्थ है-सजावट। अपने शरीर को सजा-सँवारकर प्रस्तुत करना या रखना फैशन के अतर्गत आता है। नित नए-नए परिधानों से सजना यानी दिखाना और आकर्षण फैशन के अनिवार्य लक्षण हैं। आज के शन के दौर ने विद्यार्थी वर्ग को भी अपने चंगुल में ले लिया है। वह अपने लक्ष्य को भूलकर फैशन की अंधानुकृति कर रहा है। वह फशन का गलाम ही बन गया है। आज शिक्षक उसका गुरु न होकर फैशन डिजाइनर उसका गुरु बन्।गया है। विद्यालय की जगह वह सिनेमा और रेस्तराँ के चक्कर काटता है। फैशन संबंधी पत्र-पत्रिकाएँ उसकी पाठ्य-पुस्तके बन गई हैं। उसके जीवन का एकमात्र लक्ष्य है नए फैशन की खोज। फैशन नाम की यह बीमारी केवल नगरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह दूर गाँवों तक फैल गई है। फशन ऐसा परजीवी है यदि इसे दर नहीं किया गया तो यह युवा पीढ़ी को बीमार बना देगा। इसलिए शिक्षको के साथ अभिभावकों का यह कर्तव्य बनता है कि वे युवा पीढ़ी के सामने उच्च आदर्श प्रस्तुत करे वे युवा पीढ़ी को समझाएँ कि सादा जीवन रखते हुए जो लोग उच्च विचार रखते हैं, वे ही अपने जीवन को सार्थक बनाते हैं सच्ची और बहुमूल्य संपदा हमारी ऊपरी तड़क-भड़क नहीं है बल्कि वे उच्च विचार हैं जिन पर हमारे चरित्र भवन का निर्माण होता है और इसी के कारण हम सब में दूसरों की सहायता करने और जीवन में सच्चाई तथा ईमानदारी जैसे मूल्यों का विकास होता है। इसके साथ ही युवा वर्ग को, उपयोगी कार्यों में लगाकर तथा उनका मनोवैज्ञानिक उपचार करा कर भी फैशन रूपी पिशाचिनी से पीछा छुड़ाया जा सकता है। फैशन का अंत ही जनहित है। अतः इससे मुक्ति दिलाने के यथाशीघ्र प्रयास किए गए जाने चाहिए।
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