samudra per hindi mein kavita Please answer quickly
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समुद्र में एक बारगी
वह उतरी
तो उबर ही नहीं पाई समुद्र से।
किसी मछली को देखा है
तट पर तड़पते हुए ?
मैं वह मछली हूँ
जिससे लहरें किनारा कर गई हैं।
समुद्र में इतना खारापन कहाँ से आया?
मैंने एक बार
एक मीठी नदी को
समुद्र में रोते देखा था।
समुद्र में दिखता है केवल पानी
समुद्र अपनी उकताहट
फैलाता जाता है दूर तक।
बहुत गहरा होता है न समुद्र
उसकी थाह पा ही नहीं सकते
चाह कर भी।
हर लहर में समाया है समुद्र
पर इसलिए
हर लहर समुद्र नहीं कहलाती।
मैं भी हूँ बस एक लहर
तुमसे मिलने वाली
अनगिनत लहरों जैसी
पर
उनमें मैं कहाँ हूँ समुद्र !
आह समुद्र!
मैंने तुम्हें साफ़ नीला देखा है
हरा भी
और गहरा काला भी।
मैंने तुमसे सूरज को निकलते
और तुममें चाँद को तैरते देखा है।
सीपियों को खोजा है
मैंने तुममें
और पैरों के नीचे से
खिसकते जाना है।
पर मैंने अब तक
कहाँ देखा तुम्हें
पूरा का पूरा समुद्र।
जिस दिन मैंने माँगे मोती
तुमने कह दिया
उसके लिए मुझे
समुद्र होना होगा।
मैं पिघलती चली गई
फिर भी मैं रही पानी ही
नहीं बन पाई
तुम-सा समुद्र।
इतने ज्वार
इतने भाटे
चाँद के बढ़ने-घटने से।
समुद्र और चाँद के खेल को
बोझिल हो झेलती है चट्टान
जिस पर हर बार कुछ नए निशान बन जाते हैं।
एक शंख को
कान में लगाकर
सुनी थी मैंने समुद्र की आवाज़।
पर मैं
यह नहीं कह सकती साफ़-साफ़
कि वो समुद्र की ही आवाज़ थी।
कुछ ऐसा ही अस्पष्ट कह रहे थे तुम।
कितना भी पकड़ो रेत को
छूट ही जाती है।
महीन कण रह जाते हैं हाथ से चिपके
अब इन्हें क्या कहें
रेत या चमकीली रेत।
रेत के किले बनाना
या रेत पर नाम लिखना
समुद्र के लिए दोनों बातें समान हैं।
वह सब बहा ले जाता है अपने साथ।
दूर चला जाता है
ऐसे ही एक दिन
उम्मीद का जहाज़।
HOPE IT HELPS YOU MATE....
hey mate
here is your answer
गीत मधुर गाती है सागर की लहरें ,
वायु संग बहती है साबिर की लहरें ।
जब अपनी मस्ती में खाती है हिलौरें ,
टट को छू जाती है यह सागर की लहरें ।
सीपी के मुख में जब बन ओस है गिरती
मोती बन जाती है ये सागर कि लहरें
मूल्यवान नीतियों की गोद में समेटे ,
किनारे लाती है यह सागर की लहरें ।
पूनम का चांद है जब उन पर मुस्काता ,
हल चल से भर्ती है यह सागर की लहरें।