Samvad lekhan between 2 friends on 1. berozgari 2. dahej-pratha
Answers
बेरोज़गारी
सुनील: "नमस्ते मित्र, कैसे हो?"
सुशील: "अरे क्या बतायें मित्र, आजकल ईमानदारी का जमाना नहीं है।"
सुनील: "क्यों, क्या हुआ?"
सुशील: "तुम तो जानते हो कि मेरा बेटा पढ़ने में कितना होशियार है।"
सुनील: "हाँ, ये तो सच है।"
सुशील: "उसने इतनी मेहनत करके डिग्री प्राप्त करी है, पर कोई उसे नौकरी देने को तैयार नहीं है।"
सुनील: "क्यों?"
सुशील: "सब जगह सिफारिश की आवश्यकता है, यदि कोई बड़ा वी.आई.पी उसकी सिफारिश करेगा तभी उसे नौकरी मिल सकती हैं।"
सुनील: "ये तो भ्रष्टाचार है।"
सुशील: "इसीलिए तो कह रहा हूँ कि आजकल ईमानदारी से काम नहीं चलता है।"
सुनील: "शायद इसीलिए देश में इतनी उन्नति होने के बावजूद बेरोज़गारी की समस्या हल नहीं हुई है।"
दहेज प्रथा
सुशील: "क्या हुआ भाई तुम बड़े उदास दिख रहे हो?"
सुनील: "अरे क्या बतायें मित्र, तुम तो जानते हो मैंने कितना पैसा खर्च करके अपनी बेटी को पढ़ा लिखाकर काबिल बनाया है।"
सुशील: "बिलकुल, मैंने तो अपनी आँखों से देखा है कि तुमने अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए कितनी मेहनत करी है।"
सुनील: "अब उसकी उम्र बढ़ती जा रही है और मैं भी बुढा हो रहा हूँ पर उसकी शादी के लिए कोई इंतेजाम नहीं हो पा रहा है।"
सुशील: "क्यों, मेरे ख्याल से इतनी काबिल लड़की के लिए रिश्तों की कमी नहीं होनी चाहिए।"
सुनील: "यही तो दुःख की बात है। जिससे भी बात करो वह पहले यह पूछता है कि शादी में कितना धन दिया जायेगा।"
सुशील: "सचमुच ये दहेज़ देने की प्रथा के कारण कितनी लड़कियों का जीवन खराब हो रहा है।"