Hindi, asked by shivam3631, 9 months ago

सन् 1938 के लगभग की बात है। गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का पुरातत्व विभाग कौशाम्बी में
श्री मजूमदार की देखरेख में खुदाई कर रहा था। उस समय श्री के. एन. दीक्षित डायरेक्टर-जनरल थे।
मेरे परम मित्र थे। उन्हें प्रयाग संग्रहालय से बड़ी सहानुभूति थी और सदा उसकी सहायता करने के
लिए प्रस्तुत रहते थे। साधु प्रकृति तो थे ही, परंतु आखिर बड़े हाकिम ठहरे, रोब था, जमाने के
अभ्यस्त थे। खुदाई के प्रसंग में मजूमदार साहब को पता चला कि कौशाम्बी से चार-पाँच मोल
एक गाँव हजियापुर है। वहाँ किसी व्यक्ति के यहाँ भद्रमथ का एक भारी शिलालेख है। श्री मजूमदार
उसे उठवा ले जाना चाहते थे।​

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Answered by jittedhanger
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Answer:

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