सन्धिविच्छेदं कुरुत
तस्यैवैकस्मिन्, तातस्तु, प्रत्यूषसि, अचिराच्च, चिन्तयत्येव, फलानीव, तावदहम्,
तेनैव, चादाय।
Answers
सन्धिविच्छेदं :
तस्यैवैकस्मिन् → तस्य + एव + एकस्मिन्
तातस्तु → तातः + तु
प्रत्यूषसि → प्रति + उपसि
अचिराच्च → अचिरात् + च
चिन्तयत्येव → चिन्तयति + एव
फलानीव → फलानि + इव
तावदहम् → तावत् + अहम्
तेनैव → तेन + एव
चादाय → च + आदाय
अतिरिक्त जानकारी :
प्रस्तुत प्रश्न पाठ शुकशावकोदन्तः ( तोते का बच्चा बोला) से लिया गया है। इस पाठ का संकलन कवि कुलभूषण महाकवि बाणभट्ट की प्रख्यात रचना 'कादम्बरी' के कथामुख का एक अंश है।
सन्धि :
दो वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है वह विकार ही सन्धि कही जाती है।
संस्कृत व्याकरण में संधि के तीन भेद होते हैं : स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि
स्वर संधि : जिसमें परस्पर मिलने वाले दोनों वर्ण स्वर हो।
व्यंजन संधि : जिसमें प्रथम शब्द का अंतिम वर्ण और दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण दोनों व्यंजन होते हैं।
विसर्ग संधि: जिसमें प्रथम शब्द के अंत में विसर्ग रहे और वह बाद के शब्द के प्रथम अक्षर से मिल जाए।
इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :
निम्नलिखितप्रश्नानां उत्तरम् संस्कृतेन लिखत
(क) पम्पाभिधानं पद्मसर: कुत्रासीत्?
ख) शुकः क्व निवसति स्म?
(ग) शबराणां कीदृशं जीवनं वर्तते?
(घ) हारीतः कस्य सुतः आसीत्?
(ङ) जीवनाशा किं करोति?
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