‘सणिण-सणिण हणथ िोदड़’ पणठ मेंकहण गयण हैदक ‘कटणओ’ पर दकसी दकुणि कण ि होिण वरदणि है, ऐसण क्यों?
भणरत केअन्य प्रणकृदतक स्थणिों को वरदणि बिणिेमेंयवुणिणगररक कीक्यण भदूमकण हो सकतीहै
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sanskrit language is very hard
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