Sangathan mein Shakti hai iska Hindi mein pallavan kijiye
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‘पल्लवन‘ गद्य की एक विधा है जिसमें किसी भी विषय वस्तु को एक अलग नजरिए से प्रस्तुत किया जाता है। उसे एक रोचक शैली में विस्तृत रूप देकर उसका विवेचन किया जाता है। वह विषय वस्तु कोई मुहावरा, कोई कहावत, कोई संदेश, कोई उपदेश या कोई सामयिक घटना हो सकती है।
अभी सब लोग कहते हैं ना कि संगठन में शक्ति होती है अर्थात मिलजुल कर काम करने से वह ना केवल वो काम सफल होता है बल्कि कोई विरोधी भी बाल-बांका नहीं कर सकते। ये बात शायद शर्मा जी के लड़कों को मालुम नही थी। शर्मा जी के तीन लड़के थे। शर्मा जी ने बूढ़े हो चले थे उन्होंने सोचा कि जीते-जीते जीते जी ही अपनी जायदाद का बंटवारा अपने तीनों लड़कों में कर दो ताकि मेरे बात कोई झगड़ा ना हो। उन्होंने ज्यादाद का बटवारा तीनों लड़कों में कर दिया और एक मकान स्वयं के लिए रखा कि जब तक जीवित रहेंगे तब तक इसमें ही रहेंगे। लड़कों में जायदाद के बंटवारे को लेकर संतुष्टि नहीं थी और हर एक को लग रहा था कि दूसरों को ज्यादा मिल गया। इसी विषय पर आपस में उनमें मनमुटाव वह तो ऐसा हुआ कि बढ़ता ही गया। तीनों लड़कों में आपस में बोलचाल बंद हो गई। बड़े से मकान में तीन दीवारें खड़ी हो गईं। पास पास रहकर भी सब दूर हो गए। शत्रुओं ने जो उनसे ईर्ष्या रखते थे, उन्होंने इसका फायदा उठाया। कभी किसी भाई से कोई झगड़ा होता तो दूसरे कोई भी भाई बीच-बचाव करने नहीं आता। शत्रु उन पर हावी होने लगे। शर्मा जी सब देख कर कसमसाते रहते थे। एक दिन उनसे रहा नहीं क्या उन्होंने किसी तरह तीनों लड़कों को बुलाया और उन्हें समझाया एकता में ही शक्ति है तुम लोग आपस में लड़ रहे हो इसका फायदा तुम्हारे शत्रु उठा रहे हैं। तुम मिलकर रहोगे तो कोई तुम्हारा बाल बांका भी नहीं कर पाएगा। शर्मा जी के बहुत समझाने पर लड़कों को कुछ समझ में आया तीनों लड़के आपस में गले मिल गए। गिले-शिकवे दूर हो गए। अब शत्रुओं की क्या मजाल थी उनकी एकता देखकर उनके विरुद्ध कुछ करते।
इसलिये कहतें हैं कि संगठन में यानि एकता में ही शक्ति है।
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sangathan mea shakti hoti hai pallawan kijiyea