Hindi, asked by jatanrajsurana, 1 year ago

sanskar aur bhavana ka saransh

Answers

Answered by Chirpy
43

'संस्कार और भावना' एकांकी में विष्णु प्रभाकर जी ने मानवीय भावनाओं के बीच के द्वंद्व को बहुत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करा है। वे इस एकांकी के माध्यम से यह सन्देश देते हैं कि लोग पारंपरिक रुढ़िवादी संस्कारों की रक्षा करना अपना कर्तव्य समझते है। इसके कारण वे अपने निकट संबंधियों से भी रिश्ता तोड़ देते हैं। पर इसका दुःख हमेशा हमें कष्ट देता है।

      दुःख के समय जब कोई सहायता करता है तब ये रुढ़िग्रस्त प्राचीन संस्कार दुर्बल हो जाते हैं। मानवीय भावना प्रबल हो जाती है। जैसे एकांकी में जब माँ को अपने बेटे की जानलेवा बीमारी और उनकी बंगाली बहु द्वारा की गई सेवा की सूचना मिलती है उनका पुत्र प्रेम प्रबल हो जाता है और वे अपने बहु बेटे को अपनाने का निश्चय करतीं हैं।





Answered by SaakshiNB
14

Answer:

एकांकी में परम्परागत संस्कार और मानवीय भावनाओं के बीच के द्‌वंद्‌व को अत्यंत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। एकांकीकार ने प्रस्तुत एकांकी के माध्यम से मानव मन का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है। एक भारतीय मध्यमवर्गीय परिवार की माँ अपने पुराने संस्कारों से बद्‌ध है। यह परिवार परम्पराओं से चली आ रही रूढ़िवादी संस्कारों को ढो रही है और उसकी रक्षा करना अपना परम कर्त्तव्य समझ रही है। इसी कारण माँ अपने बड़े बेटे अविनाश के अंतर्जातीय विवाह को स्वीकार नहीं करती है। अविनाश ने एक बंगाली लड़की से प्रेम-विवाह किया और अपनी पत्नी के साथ घर से अलग रहने लगा है। माँ अपने छोटे बेटे अतुल और उसकी पत्नी उमा के साथ रहती है पर बड़े बेटे से अलग रहना उसके मन को कष्ट पहुँचाता है।

जब माँ को अविनाश की बीमारी, उसकी पत्नी द्‌वारा की गई सेवा और उसकी जानलेवा बीमारी की सूचना मिलती है तब पुत्र-प्रेम की मानवीय भावना का प्रबल प्रवाह रूढ़िग्रस्त प्राचीन संस्कारों के जर्जर होते बाँध को तोड़ देता है। माँ अपने बेटे और बहू को अपनाने का निश्चय करती है।

Similar questions